Book Title: Prakrit Bhasha Vimarsh Author(s): Nathuram Premi Publisher: B L Institute of Indology View full book textPage 6
________________ के उत्कृष्टतम परम्परागत विद्यालयों में सुप्रसिद्ध गुरुओं से प्राकृत एवं जैन दर्शन का ज्ञान प्राप्त किया है। जैन विश्वभारती, लाडनूं (राजस्थान) जैसे सुप्रतिष्ठित संस्थान से प्राकृत एवं जैन विद्या का अध्यापन कार्य प्रारंभ करके वे सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी में अनेक दशकों तक जैन तत्त्वदर्शन के आचार्य एवं विभागाध्यक्ष रहे हैं। विषय के तो वे अधिकारी विद्वान् हैं ही। अतः यह पुस्तक अतीव प्रामाणिक बन पड़ी है। प्रस्तुत पुस्तक न केवल नव शिशिक्षुओं के लिये अपितु विद्वानों के लिये भी अनेक दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण है। . इस पुस्तक की रचना मुख्य रूप से संस्थान के रजत जयन्ती वर्ष के शुभ अवसर पर हमारे उन प्रतिभागियों के हित के लिये हुई है जो यहाँ प्रतिवर्ष आयोजित प्राकृत भाषा एवं साहित्य की ग्रीष्मकालीन अध्ययनशाला में भाग लेने आते हैं। पिछले २५ वर्षों से यह अध्ययनशाला अनवरत रूप से आयोजित होती चली आ रही है। सन् २०१३ का यह वर्ष इस अध्ययनशाला का रजत जयन्ती वर्ष है, जिसका आयोजन राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान (मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीनमानित विश्वविद्यालय), नई दिल्ली एवं भोगीलाल लहेरचंद प्राच्य भारतीय विद्या संस्थान दिल्ली के संयुक्त तत्त्वावधान में हुआ। इस अवसर पर प्रो० फूलचन्द जैन प्रेमी की इस पुस्तक को प्रस्तुत करते हुये हमें परम हर्ष का अनुभव हो रहा है। . हमें विश्वास है कि यह पुस्तिका प्राकृत भाषा एवं साहित्य के प्रति लोगों की अभिरुचि एवं उनका ज्ञान बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगी। बी० एल० इन्स्टीट्यूट ऑफ इण्डोलॉजी, प्रो० गयाचरण त्रिपाठी बुद्धपूर्णिमा, २५-०५-२०१३ . शैक्षणिक निदेशक Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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