Book Title: Pradyumnakumara Cupai
Author(s): Kamalshekhar, Mahendra B Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

Previous | Next

Page 28
________________ भूमिका २१ घटनाओना समान आलेखन पछी जो वर्णनोने तपासीशु तो ते पण, वा. कमलशेखरे कवि सधारुनां ज वर्णनोनुं रूपान्तर करी पोतानी कृतिमां आलेखेलां छे. कवि सघ रुए करेलु कृष्णनी सभानुं वर्णन जुओ : सभा पूरि वइठउ हरि राउ, चउवल सइन न सूझइ ठाउ । अगर सुगंध वास परिमलइ कनक दंड सिंर चामरि ढलइ |२३| पंचसबदु तहि वाजई घणे, वहुत भाति पावन पेखणे । भरिहि भाइ नाचणि पउ घरइ, तालविनोद कला अनुसरइ | २४| आ ज वर्णन वा. कमलशेखरे आम कर्यु छे : परिगह पूरी बइठउ राउ, दल सामंतन सुहइ ठाउ अगर सुगंध वास परिमलइ सोवन दंडइ चामर - १८ वाज पंचशब्द बार्जति पणी भाति पाउला पेखति भरह भावि नाच पग घर, ताल विनोद करो मन हरइ - १९ उपर्युक्त बन्ने वर्णनो वांचतां तरत ज जणाइ आवशे के मात्र वे चार ठेकाणे शाब्दिक फेरफार करी वा. कमलशेखरे, ववि सधारुए करेल ज वर्णन सीधु पोतानी कृतिमां उतारी लघु छे. यादवसेना अने प्रद्युम्न वच्चेना युद्धनु वर्णन जुओ कवि सुधार कदे छे : "दाउ दल सयउ मह भए, सुहृदनु सानि धनुष कर लए । इनउ साजि लए करवाल, जाणिक जीभ पसारी काल १४८९ | मयगल सिउ मैगल रण भिरा, हैवर स्यो हैवर आ मिरद | रावत पाईक मिरे पचारि, पडइ उठ जिनवर की सारि ॥ ४९० | केउ हाकइ के तरह फेड मार मार प्रभगई । केट भीरहि स्मरि रण आजि, केड कायर निकलह भाजि ४९१ आज वर्णननु वा कमलशेखर लगभग प्राचीन गुजरातीमां भाषान्तर करीने पोतानी कृतिमां आ प्रमाणे आलेखन कयुं छे : Jain Education International "बेहुं दल साम्हां मेलीइ, सुभट साजि धनुष करि लीइ, कोइ वारू लिई करवाल, जाणे जीभ पसारी काल ५१९ मयगलसिउं मयगल रणि भिडइ, रहवर स्यू रहवर आयडइ, राउत पायक बढइ पचारि, पड्या ते ऊठी कइ पुकारि ५२० को हाकई कोई हाइ, कोई मारि मारि तिहां भाणइ, कोई भिडइ समरंगणि गाजि, कोई कायर नासइ भाजि - ५२१ द्वारिकानगरीन वर्णन कवि सचारु आम आपे छे भाइ नारद निसुणि परदवण, यह तु चह द्वारिकापुरी, वसई मास सायरहं णिच्च । जंमिभूमिव अधि तुब, सुन्ध फटिक मणि जणित उज्जवल || कुवा वाडिउ च वणवर बहु धवलहर आवास । पहु पयाल जिणवर भुषण, पडलि कोट चोपास ॥३१४ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196