Book Title: Pradyumnakumara Cupai
Author(s): Kamalshekhar, Mahendra B Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad
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केवलन्यान पंचमुं होइ चख्य अचख्य अवधि दर्शन निद्रा सुखदं जागइ ते जाणि • प्रचला प्रचला थीणधीय क्रोध मांन माया नई लोभ पचखाण संज्वलणा च्यारि वेद पुरुष स्त्री नपुंसका भय दुगंछा नारकी आय एकेंदी बेंदी होइ च्यारिजाति ए पापह तणी
साधारण अथिर असुभ अनादेय अजसपणुं
उपघात असुभवरण 2 अशुभरस विण फरिसचउ
परिशिष्ट
नारच अरधनाराचह होइ निग्रोध सादि संठाणह भणु नीच गोत्र वीर्या अंतराय भेद पापना व्यासी हुआ इंद्री पांच कषाय च्यार पंचवीस क्रीया मइ सूत्रि सुणी परतावणी प्राणघातकी परिगह मिछितदिठ पुठकी सामंत आणवण वेयारणी साथी समदाई कीया
1. आपघात
2. अनुभ
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ए पांचइनां आवरण जोइ केवल दर्शननां आवर्ण निद्रा निद्रा प्रचला मांणि मिछित असाता वेदनी कहीय अनंतानबंध अपचखाणी थोभ च्यारि चउक सोलह ए सारि हासुं रति अरति शोका तिर निस्य गति आनुपूरवी थाय तेंदी चुरेंदी जोइ
थावर सूखिम अपजत सुणी
दोहा
दोभाग दुस्वर जाणि विरूई कुगति वखाणि
किन्ह नील दुगंध रिखभनाराचह खंध
चुपई
कीलक छेवढं संघयण जोय वामण कुबजक हुंडकपणुं दान लाभ भोग उपभोग थाइ कहूं आश्रव बइतालीस जूया अव्रति पांच त्रणि योग विचारी काई अहिगरण परद्वेषणी आरंभी अपचखाण माइकी कर्मबंध कीजइ पडुचकी
नीसथी यंत्रई नांखणी सावद्य करावइ ते प्रयोगीया 3. अपभोग 4. सहथी
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