Book Title: Pradyumnakumara Cupai
Author(s): Kamalshekhar, Mahendra B Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 165
________________ प्रधुम्नकुमार-चुपई नारायण बुद्धि चितइ घणी नारी वंचिउ सही रुखमिणी हार अहिनाणइ जाणिसु तेह सतिभामा भोगवी सनेह (सत्यभामा तथा जांबुवतीने त्यां पुत्रजन्म) तेणइ समइ सोहम सुरदेव सुर घणा करइ तस सेव आऊखू नइ भव पूरु करिउ ते सतिभामा उरि अवतरिउ ६५२ बिहुँ रांणी घरि पुत्र जनमीया घणा महोछव कृष्णइ कीया। लक्षणवंत बेहु गुणि भरया स्वरूपइ जिसा अमर अवतरया ६५३ जांबवती पुत्र शांबकुमार सतिभामानइ सुभान सुत सार शांबकुमरनइ। हार पहिरावि कृष्ण अंकि म्हेल्हइ ते धावि ६५४ बेहं कुमर खरा सुपीयार एकइ दिनि लीधु अवतार बेहूं वृद्धि हुया ससि भाइ बेहूं भणइ गुणिइ एक ठाइ ६५५ (सांबकुमार अने सुभानुकुमारनी द्यूतक्रीडा) एक दिवसि बिइ जइ रमइ कोडि सुवन्न दीयु ते गमइ सांबकुमरि जीतिउ तिणि ठाय हारिउ सुभानकुमर घरि जाइ सतिभामा कहइ सुणउ कुमार कूकडा खेलावउ ते सार जेहनइ हारइ ते वलि दीइ दोइ दोइ कोडि जीपइ ते लीइ ६५७ तु कूकडा मुक्या मोकला ऊपराऊपरि वढइ आकला कुमर सुभानतणु गयु मोडि संबकुमरि जीती बे कोडि ६५८ घणउ खेलइ तिइं पाछइ कीयु संबकुमरि जीती धन लीयु कुमर सुभाननइ आवी हारि विलखी थई3 सतिभामा नारि ६५९ (सुभानुकुमारना विवाह) वली वात विमासी तिहा दूत मेलिहउ विद्याधर जिहा जइ दूतनइ वीनविउ राय सुभाननइ पुत्री दिउ तुम्हे आय ६६० विद्याधर मनि हूउ उछाह दीधी कुमरी कीयुं वीवाह कुमर सुभान विवाहिउ जांम तव रूपणि मनि चितइ ताम ६६१ 1, शाबकुमरः 2. सितिभामाः 3. थीइ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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