Book Title: Pradyumnakumara Cupai
Author(s): Kamalshekhar, Mahendra B Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 169
________________ ७० ( रूपचंद अने रुक्मिणीनुं मिलन ) भेटी जाइ बहिनि आपणी घइ आदरि तिहां भोजन करिउ भाइ बहिनि भाणेजा भली निसुणि वयणनइ हूयु उछाह प्रद्युम्नकुमार - चुपई 1. जांइ 5. आनदः ( प्रद्युम्न तथा सांबकुमरनो विवाह ) मंडप मांडयां घणइ मंडांणि छपन कोड यादव मनरुली संख भेर तिवलना नाद ढोल दमांमां नइ दडवडी बेहूं कुमर हथलेवा थया नयरी घरि घरि हूउ उछाह संब पजून परण्या पंचासि रुखमणि सवि वहूयर परवरी Jain Education International घणु मोह धरिउ रुखमिणी सत्तरभक्ष भोजन परवरिउं 2 एक एक पाँहि गुणनिली 3 दीधी कन्या करइ वीवाह ठामि ठामि ते तोरण जांणि बिहु कुमर परणाव्या 4 वली सोहइ रणतूर नफेरी साद मादल वाइ मंडपि चडी पाणिग्रहण करी घरि गया सतिभामा पेटि पडीयुं दाह कन्या सघली रूपनिवास करइ धर्म नित आनंद घ 2. परविरउं 4. परण्याव्याः 3. गुणनिलाः 6. अंते : सांब - प्रद्युमन पाणिग्रहण नाम्नो पंचम स्वर्ग For Private & Personal Use Only ६९१ ६९२ ६९३ ६९४ ६९५ ६९६. www.jainelibrary.org

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