Book Title: Pradyumnakumara Cupai
Author(s): Kamalshekhar, Mahendra B Shah
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 81
________________ ७४ प्रद्युम्नकुमार-चुपई लाल शाहबाझर्नु खलं नाम हझरत सैयद उस्मानशाह मारवाडी हतु. जीवननी शरूआतनां वर्षोमां ज तेओ आध्यात्मिक जीवन तरफ वळया हता. बार वर्षनी क्ये, कहेवाय छे के, तेमणे आंधळाने देखतां कर्या, बहेराने सांभळता अने मूगाने बोलता कर्या. तेमने त्रण साथीदारो हता. तेमना नाम शेख बहावलदीन, शेख फरीदगंज शंकर अने मखदून जलालुदीन. लाल शाहबाझने आ 'लाल शाहबाझ' नाम एमणे बतावेल चमत्कारना परिणामे मळेलु हतु. शेख जलाल नामना फकीरने पराजय आपीने लाल शाहबाझ तेमना उपयुक्त त्रण साथीदारो साथे मुक्का अने मदीना गया हता. त्यांथी पाछा फरतां तेओ एक गाममां रातवासो करवा रोकाया ते वखते शेख फरीदगंज साथीदारो माटे बहार पांउ खरीद करवा गया. कमनसीबे पांड पकाववावाळानी दुष्ट पत्नीने आ युवानने जोतां कामवासना जागृत थई. तेणे ज्यारे अघटित मागणी करी त्यारे शेख फरीदगंजे तेनो अनादर कर्यो. आथी तेणे शेख फरीदगंज उपर भ्रष्टाचारनु आळ मूक्यु. तरत ज तेने पकडवामां आव्यो. अने तेने देहांतदंडनी सजा थई. ज्यारे लाल-शाहबाझे आ सांभळयुं त्यारे तरत ज पोताना मित्रने छोडाववाना पगलां लीघा. तेमणे बाकीना बे मित्रोमांथी एकने हरण बनावी वधस्तंभ तरफ छाडी मूक्यो. लाको घेला थईने आ हरण पकडवा तेनी पाछळ पड्या. तरत ज लाल शाहबाझे तेना बीजा मित्रने बनावी दोघा. तेने जोई मारा भागी गया. अंते संत बाज पक्षीनु रूप लई शेख फरीदगंजने उपाडी सलामत स्थळे लई गया. आ चमत्कारथी ते संत "शाहबाज, कहेवाया, जेनो सिंधीभाषामा "बाज पक्षी" एवो अर्थ थाय छे. आम आ कथामां एक पर स्त्री एक संतपुरुष उपर मोह पामी आळ ओढाडे छे. ए आ कथाघरकना निरूपणमांनु एक नोंधनीय तत्त्व छे. आ उपरांत मध्यप्रदेशमांनी एक गोंडलोककथामां पण एक भ्रष्टाचारना आळनुकथानक आवे छे. टूकमां आ कथानक आ प्रमाणे एक पक्षीनां बे इंडांमाथी गुंजमरा अने गुजहिरा (Gurjmara and Gunjhira) नामना बे कुमारो पेदा थाय छे. मोटा थई तेओ एक राज्या जाय छे. त्यां नानो कुमार गुंजहिरा ते गाममा त्रास फेलावनार मत्स्यने मारी नांखे छे. राजाए जाहेर कर्यु होय छे के जे मत्स्यने मारशे तेने राजकुवरी परणावी मोटी समृद्धि आपवामां आवशे.. गंजहिराना पराक्रमथी राजकन्या तेना प्रेममां पडी जाय छे. अने राजा पोतानी शरत मुजब मत्स्यने मारनार आ गुजहिराने ते राजकुंवरी आपे छे. परंतु गुंजहिरा ते राजकन्याने पोताना मोटा भाई गुंजमरा साथे परणाववानु कहे छे. अंते राजकन्या गुंजहिरा प्रत्ये प्रेममा परोवायेली होय छे छतां, साथे रहेवाना लोभे गुजमरा साथे परणे छे अने बधां साथे रहे छे. एक दिवस गुजमरा शिकार माटे बहार गयो होय छे त्यारे भाभी गुजहिराने अंदर जमवा बोलावे छे. बन्ने अंदर गया त्यारे भाभी बनेली राजकन्याए गुंजहिरा पासे अघटित मागणी करी. जेनो गुंजहिराए अनादर कयौँ त्यारे गुस्से थई राजकुंवरो बोली, 'हुं मरी जईश अने तने पण मारी नाखोश'. एम कही ते दही लावी अने तेने पोताना आखा शरीरे चोपड्यु अने बिलाडी१. Folktales of Mahakoshal'-P.178 byVerrier Elwin Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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