________________
(१२) जहांकी फूल वाटिकायें नित्य हरी भरी रहती थीं, जो अपनी शोभासे इंद्रपुरीको भी जीतता था वही विद्वानोंका प्यारा पुर आज धाराधीशकी कोपाम्निसे दग्ध होगया । अब पुष्पदंत कवि कहां निवास करेंगे ?
उधर कलचुरि राजा वज्जाल जैनधर्मको छोड़ शैव धर्मी हो गया और जैनियोंपर भारी अत्याचार करने लगा। यही हाल होयसल नरेश विष्णुवर्द्धनका हुआ, जिसने अनेक जैन मंदिर बनवाकर और उनको भारी २ दान देकर जैनधर्मकी प्रभावना की थी वही उस धर्मका कट्टर शत्रु होगया। कहा जाता है कि कई राजाओंने तो शैवधर्मी होकर हजारों जैन मुनियों और गृहस्थोंको कोल्हमें पिरवा डाला। गुजरात के राजदरबार जैनियोंका प्रभाव कुछ अधिक समयतक रहा पर अंतमें वहां भी उनका पतन होगया। इस प्रकार राजाश्रयसे विहीन होकर और रानाओं हारा सताये जाकर यह धर्म क्षीण हो गया। जिन स्थानों में लाखोंनी ये वहां धीरे२ एक भी जेनी न रहा । कई स्थानों में न मंदिरों आदिक ध्वंस अबतक विद्यमान है पर कोसोंतक किसी ननीका पता नहीं हैं। बेलगांव, धारवाड़ा, दीमापुर आदिले जैन लावशेषोंगे भरे पड़े हैं । अनेकन मंदिर शिवमंदिरों में परिवर्तित कर लिये गये। कुछ कालोपरान्त जर मुसल्मानोंका जोर बढ़ा तब और भी अवस्था खराब होगई । उन्होंने जैन मंदिरोंको तोड़कर भसनिदें बनवाई। कई मसजिद्रोंमें जैन मंदिरोंका मसाला अब भी पहचाननेमें आता है। बौद्धोंके समान जैनियोंने भी अनेक कलाकौशलसे पूर्ण गुफा बनवाई थीं। प्रायः जहार बौद्ध गुफायें हैं वहां थोड़ी बहुत जैन