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पर्व सं०
विषय
६२ लक्ष्मणको रावणके हाथकी शक्ति लगना
व अचेत होनेका वर्णन
४००
६३ लक्ष्मणके शक्ति लगना और रामका विलाप ४०५ ६४ विशल्या का पूर्णभव वर्णन
१०६
६५ विशल्याका समागम
४०६
४१६
४१६
६६ रावणके दूतका आना और लौटकर जाना ६७ श्री शांतिनाथके चैत्या यका कथन ६८ श्री शांतिनाथके चैत्यालय में अष्टाह्निका उत्सव ४१७ ६६ लंकाके लोगोंका अनेकानेक नियम धारण ४१८ ७० रावणका विद्या साधना और कपिंकुमार निका कागमन बहुरि पूर्णभद्र मणिभद्रका कोप, क्रोध शांति
५१ श्री शांतिनाथके मंदिर में रावणको बहुरूपिणी विद्याके सिद्ध होने का वर्णन ७२ विणका युद्धका निश्चय करने का वर्णन ७३ रावणका युद्धविषै उद्यमी होनेका वर्णन ७४ रावण लक्ष्मणका युद्ध वर्णन ७५ लक्ष्मणके चक्ररत्न की प्राप्तिका वर्णन ७६ गयणका बध वर्णन
७७ विभीषणका शोक निवारण वर्णन ७८ इन्द्रजीत कुंभकरणादिका वैराग्य और मंदोदरी आदि राणियोंका वैराग्य वर्णन ७६ राम और सोताका मिलाप ८० श्री मयमुनिका माहात्म्य ८१ अयोध्या नगरीका कथन
पृष्ठ सं० पर्व सं०
८२ राम लक्ष्मणका आगमन
८३ त्रिलोकमंडन हाथीका जातिस्मरण होयकर
उपशांत होनेका कथन
८४ त्रिलाकमंडन हाथीका वैराग्य ८५ भरतके और हाथी के पूर्व भव ८६ भरत अर केकईका ठौरोग्य ८ भरतनिर्वाणगमन
८८ रामलक्ष्मणका राज्याभिषेक
८. मधुका युद्ध अर वैराग्य, मधुराजाके
पुत्र लवणका मरण
६० मथुराके लोकनिकू असुरेन्द्र कृत उपसर्ग ६९ शत्रुघ्न के पूर्वभवका कथन ६२ मथुराके उपसर्गका निवारण
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४४५
४५०
४५.३
४६१
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विषय
६३ रामको श्रीदामाका लाभ और लक्ष्मणकू मनोरमाका लाभ
४६७
१७१
7
४७६
४८०
४८१
४८२
४८७
४८५
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६४ राम लक्ष्मणकी ऋद्धिका कथन ६५ जिनेन्द्र पूजाकी सीताको अभिलाषा और गर्भका प्रादुर्भाव
४२२
४२४
४२८ ४२४
४३८
१०६ राम लक्ष्मण विभाषण सुग्रीव सीता भामंडलके भव ४४३ १०७ कृतातवक्त्रका वैगग्य ४४६ १०८ लवणांकुशके पूर्वभव १०६ राजा मधुका वैराग्य
५१० लक्ष्मणके आठकुमारोंका वैराग्य
s
६६ रामको लोकापवादकी चिंताका कथन ४६८ ६७ सोताका वनमें बिलाप श्रर वज्रसंघका आना ५०० ६८ सीताकू व जंघका धैर्य बंधावनेका कथन : ५०७ ६६ रामकू सीताको शोक १०० लवणांकुशके पराक्रमका वर्णन १०. लवणांकुशका दिग्विजय
५१६
पृष्ठ सं०
११५ भ. मंडलका मरण
१९२ हनुमानका वैराग्य चितवन
१९३ हनुमानका निर्वाण गमन
१०२ लवणांकुशका लक्ष्मणसे युद्ध १०३ राम लक्ष्मणसे लवणांकुशका मिलाप
१०४ सकलभू णकेवलीके दर्शनार्थं देवों का आना ५३२ १०५ सीताका अग्निकुण्डमें प्रवेश और रामका केवलीके मुखसे धर्मश्रवण
३६
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श्रागमन
११६ श्रीरामका वैराग्य
१५० राममुनिका नगर में आहारके अर्थि आगमन वहुरि अंतरायका कथन १२१ राममूनिको निरंतराय आहार प्राप्ति १२२ राममुनिको केवल ज्ञानकी उत्त १२३ रामको मोक्ष प्राप्तिका वर्णन व समाप्त
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१४ इन्द्रका देवनिकू उपदेश
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१५५ लक्ष्मणका मरण अर लवणांकुशका वैराग्य ५८
११६ रामचन्द्र का विलाप
५८४
११७ लक्ष्मणका वियोग रामका विलाप अर विभीषणका संसार स्वरूप वर्णन
११८ लक्ष्मणकी दुग्ध क्रिया और मित्र देवनिका
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५७३
२८
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