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२ पदार्थ सामान्य
चला जा रहा है । प्रत्येक व्यक्ति बालक से युवा तथा युवासे वृद्ध होता हुआ बराबर मृत्युकी ओर दौडा चला जा रहा है । एककी जेवका धन बराबर दूसरेकी जेबकी ओर दोडा जा रहा है । यहां हमे कुछ भी नित्य दिखाई नही देता । परन्तु वास्तवमे ऐसा नही है । पदार्थ जहाँ अनित्य है वहां नित्य भी अवश्य है । इसीलिए पदार्थों का समूह होनेके कारण यह विश्व जहाँ अनित्य है वहाँ नित्य भी अवश्य है । नित्य दिखाई नही देता यह हमारी दृष्टिका दोष है । हमारी स्थूल दृष्टि पदार्थों की तरगोको अर्थात् उसकी पर्यांयोको तो देख रही है परन्तु उनके नीचे छिपे हुए मूल पदार्थको नही देख पाती । यदि पदार्थकी तरगोके साथ-साथ मूल पदार्थको भी देख पाती तो अनित्यताके साथ-साथ नित्यता भी अवश्य दिखाई देती ।
आपको शका होगी कि ऊपर दृष्टान्तोमे जल, आम्रफल, मनुष्य तथा सुवर्ण आदिको मूल पदार्थ कहकर नित्य बताया गया है । परन्तु इसपर से आप ऐसा न समझ बैठें कि वे पदार्थ मूलभूत है । भले ही सिद्धान्तको समझानेके लिए दृष्टान्त रूपसे उन्हे मूल पदार्थ कह दिया गया हो, परन्तु मूल पदार्थ तो कोई और ही है जो आगे बताया जायेगा । उसे जानकर ही आपकी शकाका निवारण हो सकेगा । अत. सन्तोष पूर्वक पढते या सुनते चले जायें । यहाँ इतना ही समझ लें कि पदार्थ नित्यानित्य होता हैमूलकी अपेक्षा नित्य और पर्यायोकी अपेक्षा अनित्य ऐसा उभयस्वभावी है ।
८. पदार्थ गुणों का समूह है
पदार्थोंको अन्य प्रकारसे भी पढा जा सकता है । प्रत्येक पदार्थका विश्लेषण करके देखनेपर पता चलता है कि वह अनेक गुणोंके समूहका भण्डार है । यदि ऐसा न होता तो एक ही पदार्थ