Book Title: Padartha Vigyana
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Jinendravarni Granthamala Panipat

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Page 215
________________ ८ पुद्गल-पदार्थ १९९ एक समयमे एक ही पर्याय उपलब्ध होती है, जैसे जिस समय रस गुणमे खट्टापना प्राप्त है उसी समय उसमे मीठापना प्राप्त नहीं हो सकता। हां, अगले किसी समयमे हो सकता है। इसलिए जब खट्टा स्वाद प्रतीतिमे आयेगा तब मीठा नही, और जब मीठा आयेगा तब खट्टा नही । इस प्रकार प्रत्येक गुणकी एक समयमे एक ही पर्याय जानी जा सकती है। इसलिए प्रत्येक पुद्गल पदार्थमे चार गुणोकी कोई भी अपनी-अपनी चार पर्याय उपलब्ध होनी चाहिए। परन्तु स्पर्श गुणमे कुछ विशेषता है । स्पर्श गुणकी आठ पर्याय बतायी गयी हैं जो पृथक्-पृथक् चार जोडोंके रूपमे हैं । ठण्डे गर्मका एक जोडा है, चिकने-रूखेका दूसरा, कठोर-नरमका तीसरा और हल्के-भारीका चौथा जोडा है । वे चारो जोड़े क्योकि स्पर्शन इन्द्रियसे ही जाने जाते हैं इसलिए एक स्पर्श गुण कहा गया है, परन्तु इन जोडोमे परस्पर जाति-भेद है। जिस प्रकारसे ठण्डा-गर्म जाननेमे आता है उसी प्रकारकी प्रतीति चिकने-रूकेपनेमे नही होती। इसलिए चारों जोडे स्वतन्त्र हैं। प्रत्येक जोडेमे से कोई भी एक पर्याय एक समयमे जानी जा सकती है। जो पदार्थ ठण्डा है वह उसी समय चिकना भी हो सकता है, रूखा भी। इसी प्रकार कठोर भी हो सकता है नरम भी, हल्का भी हो सकता है भारी भी। अतःस्पर्श गुणमे चार पर्याय उपलब्ध होती है। इसलिए रस, गन्ध व वर्णकी एक-एक पर्याय मिलाकर तीन तथा स्पर्श को चार, सब मिलकर सात पर्याय हो जाती हैं, जो किसी भी पुद्गल पदार्थमे एक समयमे देखी जा सकती हैं। इसपर-से कहा जा सकता है कि पुद्गल पदार्थमे गुण तो चार होते हैं, परन्तु उनकी पर्यायें प्रति समय सात होती हैं। इसमे भी कुछ विशेषता हैं। स्पर्श गुणके चार जोडोमे पहले जो दो-दो जोडे (कठोर-नरम, हल्का-भारी) हैं वे संयोगी हैं अर्थात् अनेक

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