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पदार्थ विज्ञान हैं, परन्तु उनकी सत्ता अवश्य होती है । ११ पुद्गलके गुण तथा धर्म ___अब पुदृगल पदार्थके कुछ गुणो तथा धर्मोंका परिचय देते हैं। वैसे तो अनेको धर्म इसमे पाये जाते हैं, परन्तु मुख्य रूपसे चार अधिक प्रसिद्ध हैं-स्पर्श, रस, गन्ध तथा वर्ण। पहले ही बताया जा चुका है कि गुण जाननेमे नही आया करता बल्कि उसकी कोई एक विशेष पर्याय ही किसी समय जाननेमे आती है। जैसे-स्पर्श गुण नही जाना जा सकता, ढण्डा तथा गर्मपना ही जाना जा सकता है। इसी प्रकार रस गुण नही जाना जा सकता, खट्टा-मीठापन ही जाना जा सकता है। गर्म-ठण्डा तथा खट्टा-मीठा यद्यपि लोकमे गुण नामसे प्रसिद्ध हैं, परन्तु ये वास्तवमे गुण नही बल्कि गुणोंकी पर्याय हैं। गुण तो वह है जो कि सामान्य रूपसे इनके पीछे बैठा रहता है। जैसे कि खट्टा हो कि मीठा या चरपरा परन्तु है तो रस ही, है तो जिह्वा इन्द्रियका विषय ही। पर्याय बदला करती है पर गुण नही। जैसे स्वाद खट्ठसे मीठा हो सकता है, पर रस तो रस ही रहता है। वह भी बदलकर जिह्वाकी बजाय नासिका इन्द्रियका विषय बन जाये ऐसा नही हो सकता।
इस प्रकार इन चार गुणोकी २० पर्यायें प्रसिद्ध हैं। स्पर्श गुणकी आठ पर्याय होती है-ठण्ठा, गर्म, चिकना, रूखा, कठोर, नरम, हल्का, भारी, क्योकि ये आठो विषय स्पर्शनसे जाने जाते है। रस गुणकी पांच पर्याय हैं--खट्टा, मीठा, कड़ आ, कसायला तथा चरपरा। गन्ध गुणकी दो पर्याय हैं-दुर्गन्ध तथा सुगन्ध । वर्ण गुणको भी पांच पर्याय हैं-काला, पीला, लाल, नीला, सफेद । इस प्रकार सब मिलकर २० पर्याय होती हैं ।
पर्याय उसे कहते हैं जो बदल जाये । इसलिए किसी भी गुणकी