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५ जीव पदार्य विशेष
१६. सूक्ष्म जीवोंकी उत्पत्ति
यहां तक स्थूल जीवोकी उत्पत्तिके सम्बन्धमे बताया गया। अब सूक्ष्म जीवो के अर्थात् बैक्टेरिया आदिके सम्बन्धमे भी बताता हूँ। वैक्टेरिया आदि सब प्रकारके सूक्ष्म जीव सम्मूच्छिम होते है और अनुकूल वातावरण पाकर स्वयं हो उत्पन्न हो जाते हैं। इनकी आयु अत्यन्त अल्प होती है, इसलिए ये उत्पन्न हो-होकर बहुत शीघ्र मरते भी रहते हैं। इनकी उत्पत्ति एक-दो आदिकी गणनासे नही होती बल्कि असख्यातकी गणनासे हुआ करती है।
इनकी उत्पत्तिका विस्तार शान्तिपथ-प्रदर्शन नामक पुस्तकमे 'भोजन शुद्धि' के अन्तर्गत किया गया है। यहाँ तो संक्षेपमे इतना ही समझ लीजिए कि किसी भी ऐसे पदार्थमे, जिसमे योग्य तापमान, नमी, वायु, भक्ष्य पदार्थ तथा सुरक्षा ये पांच बातें पायी जायें, उसमे इस जातिके जीव स्वत उत्पन्न हो जाते हैं। जैसे कि घासका बीज पृथिवीपर पहलेसे पडा ही रहता है, वर्षाका सयोग पानेसे वह वृद्धिंगत हो जाता है, इसी प्रकार कुछ बैक्टेरिया हर पदार्थमे तथा वायुमण्डलमे पहलेसे विद्यमान रहते हैं, उपर्युक्त अनुकूल पाँचो बातोका सयोग मिल जानेपर वे वृद्धिंगत हो जाते हैं। कही-कही प्रयोजनवश कृत्रिम रूपसे भी इनका प्रवेश करा दिया जाता है, जैसे कि दही जमानेके लिए दूधमे दहीका जामन या चेचकके रोगको दूर करनेके लिए टीका लगाकर चेचकके नाशक कोटाणु शरीरमे प्रवेश करा दिये जाते हैं ।
पदार्थमे रहने तथा प्रवेश पानेवाले ये कीटाणु या वैक्टेरिया बडे वेगसे वृद्धि पाते हैं। प्रत्येक मिनट ये बरावर दुगुने होते जाते हैं अर्थात् पहले मिनटमे एकसे दो हो जाते हैं, अगले मिनटमे उन दोसे चार हो जाते हैं, तीसरे मिनटमे उन चारसे आठ हो जाते हैं,