________________
१९४
पदार्य विज्ञान
यह सूक्ष्मता तथा स्थूलता भी एक-एक ही प्रकारकी हो मो वात नही है। इनमे भी तारतम्य या हीनाधिकता होनी सम्भव है। कोई पदार्थ पूर्णत सूक्ष्म है, कोई कम सूक्ष्म है, कोई पूर्णत: स्यूल है और कोई कम स्थूल है। जो किसीसे किसी प्रकार न रुके और प्रत्येक पदार्थमे समाकर रह सके वह पूर्ण सूक्ष्म है। जो हर पदार्थस एक जाये तथा किसीमे भी समाकर रह न सके और किसीमे-से भी पार न हो सके वह पूर्ण स्थूल है। जो किसीसे रुक जाये और किसोसे नही तथा किसीमे समा जाये और किसीमे नही, अथवा किसीमे-से पार हो जाये और किसीमे-से नही, वह कम सूक्ष्म तथा कम स्थूल है, अर्थात् उसमे सूक्ष्मता तथा स्थूलता दोनो मिले हुए हैं।
मिले हुए पदार्थ कई प्रकारके हो सकते है। कुछमे सूक्ष्मता अधिक तथा स्थूलता कम है, किसीमे स्थूलता अधिक और सूक्ष्मता कम है । इनके सर्व भेद प्रभेदोको गिनाना तो कठिन है, हा सूक्ष्मता तथा स्थूलताकी डिग्रियोमे तारतम्यका अनुमान लगानेके लिए इनको तीन-तीन विभागोमे विभाजित किया जाता है। बहुत अधिक, कुछ कम, बहुव कम, । अगरेजी व्याकरणमे तारतम्यको बतानेके लिए इसी प्रकारसे तीन भेद किए जाते हैं । जैसे Positive degree, Comparative degree ofte Superlative degrees हिन्दी व्याकरणमे इन्हे ही साधारण, तर और तम कहकर प्रकट किया जाता है, जैसे-जघन्य सूक्ष्म, मध्यम सूक्ष्म, उत्कृष्ट सूक्ष्म अर्थात् सूक्ष्म, सूक्ष्मतर, सूक्ष्मतम। आगममे इस प्रकारके साधारण तथा तर, तम रूप भेदोको दर्शानेके लिए विशेष प्रकारकी प्रक्रिया अपनायी गयी है। एक ही शब्दको दो बार कहनेसे उत्कृष्ट अर्थात् 'तम' वाला भेद बनता है, जैसे-सूक्ष्मसूक्ष्म कहनेका अर्थ है उत्कृष्ट प्रकारका सूक्ष्म अर्थात् सूक्ष्मतम । केवल एक बार शब्दका प्रयोग करनेसे मध्यम अर्थात् 'तर' वाला भेद बनता