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८ युद्गल पदार्थ
१९१ स्पर्श गुणमे मुख्यतः चार बातें पायी जाती हैं-ठण्डा, गरम, स्निग्ध (चिकना) तथा रूक्ष (रूखा)। वहां भी ठण्डे-गरमसे हमारा प्रोजन नही है, स्निग्ध तथा रूक्षसे प्रयोजन है क्योकि परमाणओका पारस्परिक संश्लेष या बन्ध भी इसी गुण-विशेषके कारण होता है। अपने स्वाभाविक परिवर्तनके प्रवाहमे परमाणु कदाचित् अधिक स्निग्ध हो जाता है और कदाचित् अधिक रूक्ष हो जाता है। आकाशके प्रत्येक प्रदेशपर अनन्तानन्त परमाणु भरे पड़े हैं, प्रत्येकमे ही नित्य इस प्रकारका परिवर्तन हो रहा है, जिसे कोई भी रोक नहीं सकता। इसलिए इन अनन्तानन्त परमाणुओमे स्वतः कोई परमाणु स्निग्ध और कोई रूक्ष हो जाता है। स्निग्धता तथा रूक्षताकी डिग्रियोमे भी तारतम्य होना स्वाभाविक है। कोई अधिक स्निग्ध, कोई कम स्निग्ध, कोई अधिक रूक्ष और कोई कम रूक्ष होता है।
यहां चिकने तथा रूखेपनसे घी आदिको जातिका चिकनारूखापन न समझना। वैज्ञानिक प्रोटोनकी आकर्षण शक्ति ही यहाँ स्निग्धता है तथा अलेक्ट्रोनको विकर्षण शक्ति ही रूक्षता नामसे अभिहित को गयी है। आकर्षण शक्तियुक्त परमाणुको हो विज्ञानने प्रोटोन कहा है, क्योकि वह अनेक अलैक्ट्रानोको अपनी तरफ आकर्षित कर लेता है। इसी प्रकार विकर्षण शक्तियुक्त परमाणुको ही अलैक्ट्रोन कहा जाता है, क्योकि वह दूसरे निकटवर्ती अलैक्ट्रानो को पीछे धकेल देता है। इस प्रकार परिवर्तन-क्रममे एक ही प्रकारका परमाण स्निग्ध तथा रूक्ष हो जानेके कारण प्रोटोन तथा अलैक्ट्रोन रूपसे दो प्रकारका हो जाता है। इसी प्रकारके परमाणु विज्ञानको सम्मत हैं । परन्तु इनके पीछे बैठा हुआ, इनका भी जो मूल कारण है, वह परमाणु तो वास्तवमे एक ही है।