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पदार्थ विज्ञान दो शब्दोका अगले प्रकरणोमे काफी प्रयोग किया गया है, इसलिए उन शब्दोके भावार्थको यहाँ स्पष्ट कर दिया है। २४. सावरण तथा निरावरण ज्ञान
पाँचो ज्ञानोमे-से पहले चार सावरण हैं और अन्तिम ज्ञान निरावरण है । आवरण नाम पर्देका है । जो ज्ञान किसी आन्तरिक पर्देसे ढका रहता है उसे सावरण कहते हैं और जिस ज्ञानपर कोई पर्दा नही रहता अर्थात् जो पूरा खुला रहता है उसे निरावरण कहते हैं। बादलोसे ढका हुआ सूर्यका प्रकाश सावरण है और बादलो रहित सूर्यका प्रकाश निरावरण है । इसी प्रकार अन्त करणसे आवृत या ढका हुआ ज्ञान सावरण है और अन्त करण-मुक्त ज्ञान निरावरण है।
जिस प्रकार बादलोंसे ढके सूर्यका प्रकाश कम होता है और बादलोंसे मुक्त सूर्यका प्रकाश पूर्ण होता है, उसी प्रकार अन्तःकरणसे ढके सावरण ज्ञानका प्रकाश कम होता है और अन्त करणसे मुक्त निरावरण ज्ञानका प्रकाश पूर्ण होता है। जिस प्रकार सफेद तथा काले बादलोकी गहनतामे तारतम्य या हीनाधिकता हनेके कारण उनसे ढका हुआ सूर्यका प्रकाश भी अधिक व हीन होता है, उसी प्रकार अन्तःकरणकी मलिनतामे तारतम्य होनेके कारण उससे ढका हुआ ज्ञान भी हीन व अधिक होता है । यदि अन्त करण कम मलिन है अर्थात् उज्ज्वल है तो ज्ञान अधिक प्रकट होता है, और यदि वह अधिक मलिन है अर्थात् कषायोसे दबा हुआ है तो ज्ञान भी हीन प्रकट होता है।
जिस प्रकार बादलोसे ढके हुए भी सूर्यका अपना प्रकाश तो पूर्ण का पूर्ण ही रहता है, केवल बादलोमे-से छनकर जो प्रकाश पृथिवीपर पड़ता है वही कम या अधिक होता है, इसी प्रकार अन्तःकरणसे