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२ पदार्थ सामान्य क्षेत्रकी अपेक्षा देखनेपर वृक्षत्वका कोई आकार नही, जहां जिस भी वृक्षमे देखो वृक्षत्व वैसाका वैसा है, अत. वृक्षत्व व्यापक है । परन्तु कोई एक वृक्ष तो छोटे आकारवाला है और कोई दूसरा बड़े आकारवाला । अत पदार्थका सामान्य क्षेत्र व्यापक है, और विशेष क्षेत्र सीमित आकारवाला। __ कालकी अपेक्षा विचार करनेपर वृक्षत्वको जब भी देखो वैसा का वैसा है, न वह नया पैदा होता है, न वृद्धि पाता है, न मरता है। परन्तु कोई एक वृक्ष-विशेष तो पैदा भी होता है, वृद्धि भी पाता है तथा अन्तमे मर भी जाता है। अत पदार्थका सामान्य काल नित्य होता है और विशेष काल अनित्य । सामान्य काल द्रव्य व गुणोका माना जाता है और विशेष काल उनकी परिवर्तनशील पर्यायोका।
भावकी अपेक्षा देखनेपर वृक्षत्व तो एक वृक्षपनेके स्वभाववाला है अर्थात् सभी 'वृक्ष' डाली, पत्ते, फल, फूलवाले हैं, परन्तु कोई एक वृक्ष-विशेष तो अपनी विशेष जातिका ही है। कोई नीम जातिका और कोई जामुन जातिका, कोई कडो स्वभाववाला और कोई मीठे स्वभाववाला। अत. पदार्थका सामान्य भाव एक ही प्रकारका होता है, परन्तु उसकी विशेष जातियां अनेक प्रकारकी। इसी प्रकार सामान्य वृक्षत्व तो एक ही है परन्तु उस एकमे पाये जानेवाले गुण बहुत हैं। अतः सामान्य भाव एक होता है और विशेष भाव अनेक ।