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पदार्थ विज्ञान
तात्पर्य यह है कि एकेन्द्रिय जीवोके पास पहले नम्बरवाली एक स्पर्शन इन्द्रिय ही हो सकती है । दूसरे-तीसरे नम्बरवाली रसना या घ्राण आदिमे से कोई भी एक इन्द्रिय हो जाये ऐसा कभी नही हो सकता । इसी प्रकार द्वीन्द्रिय जीवोके पास पहली और दूसरी स्पर्शन तथा रसना यह दो इन्द्रियाँ ही होती है, इनके स्थानपर कोई अन्य दो नही । इसी प्रकार त्रीन्द्रिय जीवोके पास स्पर्शन, रसना तथा घ्राण अर्थात् शरीर, जिह्वा तथा नाक ही होती है अन्य नही । चतुरिन्द्रियके पास स्पर्शन, रसना व घ्राणके साथ नेत्र या आँख आ मिलती है पर कान नही । पंचेन्द्रिय जीवोके पास कर्ण समेत पाँचो इन्द्रियाँ होती है ।
एकेन्द्रिय जीवोके उदाहरण हैं वृक्ष आदि । दो इन्द्रियो केंचुआ, लट आदि रँगकर चलनेवाले कीड़े होते है, क्योकि इनके पास शरीरके अतिरिक्त जिल्ह्वा भी होती है | त्रीन्द्रिय जीवोंके उदाहरण हैं चीटी गिजाई या कोनसलाई, बिच्छू, कानखजूरा आदि पाँवसे चलनेवाले कीड़े, क्योकि इनके पास स्पर्शन, रसनाके अतिरिक्त नाक भी होती है । चतुरिन्द्रिय जीवोके उदाहरण हैं मक्खी, मच्छर, भिर्र आदि उडकर घूमनेवाले कीडे, क्योकि इनके पास नेत्र भी होते हैं । और पचेन्द्रिय जीवोके उदाहरण है मछली, सर्प, गाय, तोता, मनुष्य आदि । इन उदाहरणोपर-से इन्द्रियोकी अपेक्षा जीवोके भेद-प्रभेद जाने जा सकते है ।
एकेन्द्रियवाले जीवोके शरीरमे कुछ विशेषता है जो आगे बतायी जायेगी । दोसे लेकर पाँच इन्द्रिय तकके जीवोमे द्वीन्द्रिय, श्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रय ये तीन प्रकारके जीव विकलेन्द्रिय कहलाते हैं, क्योकि इनके पास पूरी इन्द्रियाँ नही है, विकल अर्थात् कम इन्द्रियाँ हैं । पचेन्द्रिय जीव सकलेन्द्रिय कहलाते हैं, क्योकि इनके पास सकल अर्थात् पूरी इन्द्रियाँ है ।