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५ जीव पदार्थ विशेष
नयी बातें भी पढ जाते हैं, जो कि उन-उनकी ही जातिके अन्य प्राणी नही जानते हैं । इस प्रकारसे चीटी, मक्खी आदि नही पढाये जा सकते । जो एक चीटी जानती है तथा विचारती है वहो उसको जातिकी सभी जानती तथा विचारती है। इसी प्रकार जो एक मक्खी जानती तथा विचारती है वही उसकी जातिकी सभी जानती तथा विचारती हैं । इसलिए कहा जा सकता है कि तोता, मैना, कबूतर, कुत्ता, घोड़ा, मनुष्य आदिकोमे कुछ विशेष प्रकारकी शक्ति अवश्य है, जो दूसरे जीवोमे नही है । बस उसे ही यहाँ विशेष विचारणा-शक्ति कहा गया है ।
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जिनमे वह विशेष विचारणा है वे मनवाले संज्ञी कहलाते है और जिनमे वह नही है वे मन रहित प्रसज्ञी कहे जाते हैं । इसी बातको यो भी कह सकते हैं कि अन्त करणके चार अगोमे से बुद्धि, चित्त और अहकार तो सभीके पास हैं परन्तु मन किसीके पास है और किसीके पास नही । जिनके पास मन नहीं है ऐसे एकेन्द्रियसे चार इन्द्रिय तक जीव असज्ञी कहे जाते हैं । और जिनके मन है वे सज्ञी कहलाते हैं ।
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इस प्रकार पचेन्द्रिय जीव दो प्रकारके हैं -सज्ञी तथा असज्ञी । सज्ञोके उदाहरण ऊपर दिये जा चुके हैं। असज्ञोके उदाहरण यद्यपि निश्चित रूपसे नही दिये जा सकते हैं, क्योकि पशु व पक्षियोमे जिन जीवोंसे हमारा नित्य वास्ता पडता है वे सभी सज्ञी हैं । फिर भी कुछ विशेष प्रकारको मछलियां तथा सर्प आदि असज्ञी अवश्य हैं। मनुष्य तो नियमसे असज्ञी होते ही नही हैं ।
६. त्रस स्थावरको अपेक्षा जीवके भेद
उपर्युक्त बताये हुए जीवोको हम अन्य प्रकारसे भी विभाजित कर सकते हैं । कुछ जीव ऐसे होते है जो भय तो खाते हैं परन्तु