Book Title: Niti Shatak Satik
Author(s): Bhartuhari
Publisher:
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir नभविष्यनिपरनुपनिनिविष्टपूर्वजनस्यचिन आराधयेत् 5 व्यालपिनि व्यालंसपंचाल / मृणालतंतुभिः कोमलकमलनुभिः रोडुमवरोडुंयथावांछति तथाचयजमणी शिराप पुष्पाग्रणमाछद्राकर्नुसन्नदोभवनिययाचसारसमुद्रस्यमधुपिंदुनामाधुर्यकर्जुईहनेचेग्ने कदाचिदपिपर्यटनशशविषाणमासादयेतूननुपानिनिपिष्टमूर्सजनपिनमा राधयेत् 5 व्यालंगालमृणालनंनाभरसोरोडंसमुन् भनेछेनुंचनमणीनाश रीषकुसुमपानेनसन्नयने माधुर्येमधुचिंदुनारचयिनुसाराचुधेरीहतेनेवां उनियापलाम्पथिसनासूतः सधास्यादरामः६ एयथाअपरिनानिक पिच्छति // नथारखलासनामार्गेर्नतुममृनतुल्यैः सूभिर्याछनिदुरासन्मार्गेपयितुंनशक्य इत्यर्थः For Private and Personal Use Only

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