Book Title: Niti Shatak Satik
Author(s): Bhartuhari
Publisher: 

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Page 28
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir ||गच्छनोवास्तुनः मांगेमहत्सौरव्यंपदर्शिनम् // स्वेच्छयागमनंतस्यहत्तापंपिदध हजेत 1 चिरा तरंबहुकालमुपित्वायासंकृत्वाएतेपमिहाविषया हिनि भिनंयानारोऽवश्यंभूषयास्यनितदापि योगेविश्लेषकोभेदोययंनभेदेनजनोभोक्तास्वयमभूताविषयान्नत्यजनिननुगमशालत्वात्स्वयमे अवश्यंयानारश्विरनरपित्यापिपिपयापियोगेकोभेदस्यजतिनजनोयत्स्वय मभूत् जनः स्वानन्यारंतुलपरितापायमनसःस्वयं त्यक्ता तेशमसरपमर्नन विदधात 16 वयास्यनिकोलभस्मत्यागेंइत्याशंन्यस्वयं त्यागे सरपंसेच्छागमनेना दुरवंचदर्शयति स्वेच्छाबजंनो विषयामनसःपरिन: सर्चनापायभविस्वयं त्यक्ताःसनः शमंशांनफर अनएबानं नमपरिच्छिन्नं विदधनि कुर्वनि 16 5 5 For Private and Personal Use Only

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