Book Title: Niti Shatak Satik
Author(s): Bhartuhari
Publisher: 

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Page 60
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandie यदेनि तदहंनजानेएषाकस्यतपसा परिणनिः परिणामोचननेएषाकापरिणतिःयदेतत स्वाच्छंयविहरयांअन्यच्चाकार्पण्यंभशनंप्रचलंभोजनंअन्यचसहायैः संवासः परिकरैः / / सहनिवासः उपशपैकवनफलंउपशमरसोझासितंश्रुतंशावहिरपिचारपदेशपिम यदेनस्याच्छंद्यपिहरणमकार्यण्यमशनंसहायैःसंगमचनमुपशगैर बतफलम् मनोमंदपदंबाहिरापिचिरस्यापिनिमशननजानेकस्यैषापरि णतिरुदारस्पतपसः 51 गोमंदस्यस्पदंकल्पनारहितं अहमि कुन चिरस्य पिरराबायविमृशन पिमृशनां कुर्वन् निरकालंपिनियानसर्थः 516 For Private and Personal Use Only

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