Book Title: Niti Shatak Satik
Author(s): Bhartuhari
Publisher:
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir रयमिनि हे राजेंद्र इहास्मिन्संसारेनल्कलैः सलापरितुष्टाः चान्यत्वंच लक्ष्म्यापरितुष्टः भाश सपनावतासंगोषस्यतत्वमेकएचइहास्मिन्नर्थपरितोषः समएपकिंभूनः परिनोषः निर्विशेषा वशेष निर्विशेषएव अवशेषोऽवसानंयस्यसनिर्विशेषावशेषःारशेषश्चायंतु पुनःसदर वयमितपरितशयल्कलैस्त्वंचलण्यासमइहपरित्तोपोनिर्विशेषावशे पः सत्तुभमतिदरिद्रीयस्यतृष्णाविशालामनसिचपरितुरेकोर्थवानको दार द्रोभवनि यस्य परूपस्यविशालाकिस्तानच्या अनंनतृष्णस्यसंसःदा रिझंकापिनयातीसागमः तुपुनः मनसिपरितुरेसातकोर्थवान कोदरिद्रः पितुनकोपि। 25 ||||5. श्रीरामायनमः श्रीकृष्णायनमः श्रीशांतांनायनमः || || For Private and Personal Use Only

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