Book Title: Niti Shatak Satik
Author(s): Bhartuhari
Publisher:
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandie भन्दै / / नयूयमेव रायंचयमेवयूयमितिअभेदयुहिर्जाना 65 गालात हेपालेहेमंदारतावकीनं || श. 32 || लीलामुकुलितंअमीमंथरा राष्टिपाताअस्मासफिक्षिण्यंतेचिरपनरपतेतवश्रमोव्ययोनिरर्थ- 3 किंजानमधुनाभित्रयेनयूयंवयंचयम्६५ चालेलीलामुकुलितममी मंथराइटिपाता किंक्षिण्यंतेविरमतयतोव्यर्थएषश्रमसें संपत्यन्येव यमुपरतंबाल्यमास्थावनांनेशीणोमोहस्तृणमिवजगज्जालमालोकयामः का संपनिवयं अन्येनेनभवामः अस्माकंचाल्यसुपरने भस्माकमास्थावनांनेकयंसाणः मोहो|| || 22 गतः इदंजगज्जालंतृणामियनुच्छपिलोकयामः 66 5 5 5 5 // For Private and Personal Use Only

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