Book Title: Niti Shatak Satik
Author(s): Bhartuhari
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir स। | धनसम पनरितिक्षामा परममयतारहतारिनमो येषांने घनममना दियाः पिया। श. 2. भिः प्रणीनंयत्कंठालेपोयगूदनदपिचनचिरंतस्मात्कारणात्परं ब्रह्मएरशाश्वतम 2 व 3 मारमिनि मनामनोनितेंद्रियस्य ब्रह्मांउमंडलीमानाकंलो भायजायने भपितुनब्रह्मांडस्य ब्रह्मांडमंडलीमाकिलोभायमनस्विनः शफरीस्फुरिनेनाव्येसुब्ध ताजानुजायते 3 मंडलीबलांउमंडलीसैयमात्रायस्यनन अन्येः समुद्रस्य शफ / / ||री स्फुरिनेनमस्यिकावास्यतेनजातुकराचिनायनासोभनाजायने भपित्तन तथामनसि || 29 न पुरुषस्य ब्रह्मांड मंडलीयाचंलोभायनजायने 5 5 5 5 // For Private and Personal Use Only

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