Book Title: Niti Shatak Satik
Author(s): Bhartuhari
Publisher: 

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Page 83
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir निः कश्चनपइव यथानृपः पहाशय्यापृथ्वीशयनशय्योभपनि अन्यचारिपुल उपधानोभ पनि विस्तीर्णगंडुकोभवनिचान्याकाशंपनिमतकोपरि रिनानं भवानिचान्यजनानिलेन चीजितोभवनि अन्यच्चस्फुरदीपोभवानि अन्यच्चानना संगपनि उदिता भवानि किंभूनोमानः स्फुरदीपश्चंदोनिर्तिनितासंगसुरिनः सुरवंशांनूःशेनेसुनिरननु निर्नपईच 79 त्रैलोक्याधिपतित्वमेवाविरंसंयास्मन्महाशासनले ध्या सनबस्लमानघटनागरातमाकथाः बायनप अनि अननी प्रतिधिनियस्य पसलक्ष्मीः 70 त्रैलोक्यनि हे आत्मन नत्पर बनलब्या भोगे || 27 रसिंमारुयायास्मिन्परपलागि एप निश्चयेन त्रैलोक्याधिपनि वंविरसंचनने कि भूनेभोगे आ For Private and Personal Use Only

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