Book Title: Niti Shatak Satik
Author(s): Bhartuhari
Publisher: 

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Page 79
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir भन्यैः || |74 भकिरिनिभनःपरकिंचैराग्यमस्मिनभिक्तिर्भयेमहेशेअन्यबहादिस्थमाणिनामंतस्थमरणाममा यंभन्यवधुपुस्मे होनभन्यचमन्मथजाः कामोद्भवारिकारानभन्यच नाताः पिजनाः जनरहिनाः किं जीर्णाकंथाननःकिसिनममलपदंपहसूत्रननाकिएकाभार्याननाहियकारसगगैरा रत्तोपात्तताकिम भक्तंभुनना किंकदशनमथवागासरांनेतनाव्यिक्तज्योतिर्मयांन मथिनभवभयंवैभवाननाकिम७४ भनिर्भयेमरणजन्यायंहादिस्थस्नेहोनबंध नमन्मथजाधिकाराः संसर्गदोपहिताविजनावनांनाचैराग्यमान किमतःपरमार्थनायम्भू नाचनांनाः संसर्गरोपरहिनाः संसर्गानोषः संसर्गरोपोनहिनाः संसर्गरोष | 25 रहिनाः अनः परंपैराग्याकिमपिनास्तिम्भूितंचैराग्यं परमार्थनीयम् परमनन्त युनम् 75 7 For Private and Personal Use Only

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