Book Title: Niti Shatak Satik
Author(s): Bhartuhari
Publisher:
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir पाणिरिनिधन्यातुनेएनयेकर्मनिर्मूलयानकि भूताःपन्याः संन्यस्तदैन्यन्यनिकरमिकराः संन्य || स्तोनिराहनादैन्यन्यनिकरस्यानकरोयनेपुनःकिंभूतास्नेखात्मसंनोपिण स्वात्मन्येवसंतोपो येषांनेअन्यच्चयेषां पुरुषाणांनिःसंगनांगीकरणपरिणतिःमिसंयवायाःअंगीकरणमि संगनां गीकरणंतस्यपरिणनिर्निसंगनांगीकरणपरिणानि येषांपुरुषाणांपाचंभोजनभाउंपाणिःहस्तःप पाणिपात्रंपवित्रंधमणपारगन क्षमक्षय्यमन् विस्तीर्णचस्पमाशासुश कममलंतल्पमस्वल्पमुर्वी येषांनिःसंगनांगीकरणपरिणतिस्वात्मसंतोषि णधन्याः संन्यस्त दैन्यव्यतिकरनिकराःकर्मनिमूलनि 52 पनि स्यभक्षय्यमव्ययंभन्नभयंवरूपं विस्तार्ण आशादशकंअमलनिर्मलं असल्पचिस्ताणशय्या उप्रिथ्वीरचरिधरूपेणयेसंसारपारंगशतिनाग्या 52 7 || || For Private and Personal Use Only

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