Book Title: Niti Shatak Satik
Author(s): Bhartuhari
Publisher: 

View full book text
Previous | Next

Page 30
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyarmandie रुशेति श्वाकुक्कर: शानिमन्बेनिफिविशिष्टः श्वारुशोदुर्बल काण: एकरकरसंजोभग्नपाद: श्रवणरहितः छिन्नकर्ण:पुच्छविकलो लांगूल रहितः वणीपिटकव्याप्तः पूनिकिन्नःपूयर धिनः पुनः किंभूनः श्वारुमिकुल शनैराशनननःपुनः किंभूतःश्वासपा क्षामःपुनःकिंभूनः मदनविडंचनमाह कुशाकाणरज श्रवणराहनःपुच्छविकलोवणीपू निकिन्नाकृमिकुशलतैरारततनुःक्षधाक्षामोजीर्णापिठरजकपालार्षि नगलःशुनीमन्वेनिश्चाहतमपिचहत्येवमदनः 19 श्वाजीर्णः जरसारांना पुनः किंभूनः पिठरज रूपाला र्पितगलः करंडमुंउसपार्षनपुखः एवंविधोमर्नु कामोपिया शनी मन्येनि तदपि मदनः एपनियेन हनमपि हनि 18 5 5 For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116