Book Title: Niti Shatak Satik
Author(s): Bhartuhari
Publisher: 

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Page 33
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir भने कामान विपज्जालंजटिलानविपदांजालोरिपज्जालः तेनजहिलाम्नान अतएच मोह म-श हिमागीयान 22 पिशामिनिवयं दुर्जनानां पिशनानाम विनय मनुमंतुं अंगीकर्नुनो त्महेनोत्साहंकूर्म हे कयंभूनानां दुर्जनानां नवधनयधुपानश्यांनसर्वेद्रियाणां नवंनवी विजानंतोप्येनेवयमिहविपज्जालजारलान्नमुंगामाकामानहहंग हनोमोहमहिमा 22 अथर्जनमुहिश्याह विशमलमशनायस्या दुपानायनोयंशयनमयनिष्ठेवल्कलेगाससीच - 6 नोपार्जितंधनंनवधनंनदेवमुधु पानं मदिरापाननेनमधु पानेन यांनानि सर्वाणींद्रियाणि || 12 // येषांतेनवधनमधपानवांतसद्रियारलेषा अलमत्यर्थे अंशनाय भोजनाय रिशंक- म|| || For Private and Personal Use Only

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