Book Title: Niti Shatak Satik
Author(s): Bhartuhari
Publisher: 

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Page 25
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir | पार्जितः उद्यम्यनगृहीतः जगनः स्थूलसरवादापिहानत्वंदर्शयनिनार्याः पीनयोरानपुष्टयोः पयोधरयो: सनयोर्युगुलं नाशयोस्!श्चयुगुलंडयंसपेपिनालिंगिनस्यांमैन श्लेषि नं मानुर्योपनमेव वर्मनच्छेदने दूरीकरणकुठारा: छेदनशस्त्राणिकेवलं चान्यतिनिहन नगीपीनपयोधरोरुयुगुलं स्वप्रेपिनालिगिनंमातुः केवलमेवयौवनवन छेदेकुठारावयम् 11 भोगानभुक्तापयमेवभुक्तास्तंपोनतप्तवयमेवतप्ताः कालोनयानोपयमवयानासृष्णानजीणोंचयमेवजीयाः१२ मिनिभाव भोगा दयस्नुनैवाप्ताःपासानिधनंलयु नृष्णाजीर्णान मेहंन्जार्णः लष्णं कथं भजे ? भोगाःमगारयोने विभुक्ताः किंतु सदाभिलायमेवभुक्ताः कालोनयानोवयमेवयानाः यस्मिन्कालेयन्कर्मकर्नुमानित For Private and Personal Use Only

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