Book Title: Niti Shatak Satik
Author(s): Bhartuhari
Publisher:
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir नांसवरूपः स्वर्गवासः फलश्रुतमेनकरनेणापिपास्वायजनकत्तमाह विपाक इनि पुण्यानामाथि कर्मणांविपाकः फलंमेममाविमृशनापिनार्यनोभयंजनयति ननकारणमा ह महाद्भिः पुण्योधैः पुण्यसम्हैः चिरकालेनपरिग्रहीनाः सम्यग्धनाविषयामहांनोपि महादिपुण्योपैघिरपरिग्रहीताञ्चाविषयामहांनोजायनेन्यसमियदान विषयिणाम् 2 उत्याननिधिशंकयाक्षिनिनलंध्यानागिरेनगोनिस्तीर्णः सारतापाननृपनायलनसनाापनाः स्वरुपनः फलदाननोविषयिणांरागिणां व्यसनंदुःखमेवजनयितुमत्यादयितुंजायंने उत्पयंतेहानिशाणेपुण्ये मर्त्यलोके रिशंनी निभा गवदचनाच 3 निरयनेदसधांधातगिरानसरोवधैः निलरेडुदयि दावृष्णाशां|| For Private and Personal Use Only

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