Book Title: Meghmahodaya Harshprabodha Author(s): Bhagwandas Jain Publisher: Bhagwandas Jain View full book textPage 9
________________ ग्रंथकर्त्ता का : वैशवृक्ष कमलविजय (२) हीरविजय } कनकविजय 1 शीलविजय " सिद्धिविजय चारित्र विजय 1 कृपाविजय 1 मेघविजय मेघमहोदय ( वर्षप्रबोध) आदि ज्योतिषग्रंथों के अतिरिक्त न्याय व्याकरण काव्य आदि विषयों के भी अनेक ग्रंथ रचे हैं १ देवानन्दाभ्युदय-महाकाव्ये २ शान्तिनाथचरित्र - महाकाव्यै १ यह माघकाव्य की पादपूर्ति सप्तसर्गीय महाकाव्य संवत् १७६० में रचा हुआ है । इसमें जैनाचार्यश्रीविजयदेवसूरीश्वरजीका आदर्श जीवनचरित्र वर्णित है । यह यशोविजयनग्रंथमाला में प्रकाशित हो गया है । २. इसमें श्रीहर्षकविविरचित नैववीय महाकाव्य की पादपूर्तिरूप श्रीशान्तिनाथजन् चरित्र बड़ा मनोहर लालित्य लोकोंमें वर्णित है। इसका कुछ लोक पाठकों के सामने उत करता हूँ श्रियामभिव्यक्तमनाऽनुरक्तता विशालसालवितयश्रिया स्फुटा । तया बभासे स जगत्त्रयीविभुर्ज्वलत्प्रतापावलिकीर्तिमण्डलः ॥१॥ निपीय यस्य क्षितिरक्षिणः कथाः सुराः सुराज्यादिसुखं बहिर्मुखम् । प्रपेदिरेऽन्तः स्थिरतन्मयाशयाः सदा सदानन्दभृतः प्रशंसया ॥२॥ यथाश्रुतस्येह निपीतत्तत्कथा - स्तथावियन्ते न बुधाः सुधामपि । • सुधाभुजां जन्म न तन्मनःप्रियं भवेद् भवे यत्र न तत्कथा प्रथा ॥ ३ ॥ सदीयपादाम्बुजभक्तिनिर्भरात् प्रभावतस्तुल्यतया प्रभावतः । नलः सितच्छत्रितकीर्तिमण्डलः क्षमापतिः प्राप यशः- प्रशस्यताम् ॥४॥ द्विधापि धर्मानुगतिर्महीपति द्वावधेः शैशवः एष शेवधिः । *मेगा की विजये दिशां जिनः स राशिराशीन्महसां महोज्ज्वलः ॥१५ ॥ यह जैन विविध साहित्य शास्त्रमाला का वां पुष्प रूपसे मुद्रित है । "Aho Shrutgyanam"Page Navigation
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