Book Title: Meghmahodaya Harshprabodha Author(s): Bhagwandas Jain Publisher: Bhagwandas Jain View full book textPage 7
________________ - समर्पण MISHReadtrategyeReceRSecky बीकानेर-निवासी श्रीमान् दानवीर उदारहृदय साहित्यप्रेमीमेठ भैरोंदानजी जेठमलजी मेठिया की मेवामें, माननीय महोदय . अापने अपनी उदारता से धर्म और समाज के अभ्युदय के लिये ग्रन्थालय ( लायब्रेरी ) विद्यालय और कन्यापाटशाला आदि पारमार्थिक जैन संस्थाओं की स्थापना करके श्रीमानों के सामने सुंदर प्रादर्श खडा कर दिया है । इतना ही नहीं किन्तु धर्म और समाज की मेवाके लिये आपने अपने आपको अर्पित कर दिया है। इत्यादि प्रशंसनीय कार्यों में प्राकर्षित होकर यह छोटीसी भेंट आपके कर कमलोंमें सादर समर्पिन करता हूँ। भवदीय----- भगवानदास जैन. "Aho Shrutgyanam"Page Navigation
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