Book Title: Meghmahodaya Harshprabodha Author(s): Bhagwandas Jain Publisher: Bhagwandas Jain View full book textPage 6
________________ विज्ञापनजैनाचार्यों के बनायें हुए ज्योतिष गणित सामुद्रिक शिल्प शकुन वैद्यक और कला भादि विज्ञान विषयों के प्राचीन ग्रंथरत्न शीघ्रही प्रकाशित हो रहे हैं । जो महाशय इनका स्थायी प्राहक बनना चाहे वे एक रुपिया भेजकर स्थायी ग्राहक श्रेणी में अपना नाम लिखवा लें , जिससे उनको मेरी तरफसे छपनेवाली हरएक पुस्तकें पौनी किमतसे मिल जायेंगी। शीघ्र ही प्रकाशित होंगेगणितसारसंग्रह-- श्रीमहावीराचार्य विरचित, इसका हिन्दी अनु. वाद, उदाहरण-समेत खुलासा वार किया गया है। भुवनदीपक सटीक-- श्रीपद्मप्रभसूरिप्रणीत मूल और श्रीसिंहतिलकसूरिकृत टीका के साथ हिन्दी अनुवाद समेत । यह प्रश्न कुंडली पासे अनेक प्रकार के शुभाशुभ फल जाननेका अत्युत्तम ग्रंथ है । X वास्तुसार (शिल्पशास्त्र)- परमजैन श्रीठक्कर-फेरु विरचित प्राकृतगाथा बद्ध और हिन्दी अनुवाद समेत इसमें मकान मंदिर प्रतिमा(मूर्ति) प्रादि बनानेका अधिकार विवेचन पूर्वक किया गया है। त्रैलोक्यप्रकाश- श्रीहेमप्रभसुरि प्रणीत यह जातक ताजक तथा समस्त वर्ष में सुकाल दुष्काल आदि जानने का बहुत विस्तार पूर्वक खुलासावार है। इनसे अतिरिक्त उपरोक्त विषयके ग्रंथ तैयार हो रहे हैं। पुस्तक मिलनेका पता4. भगवानदास जैन सेठिया जैन प्रिंटिंग प्रेस. बीकानेर (राजपूताना "Aho Shrutgyanam"Page Navigation
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