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इस प्रकार पाँच खण्डों में संयोजित यह महासतीद्वय स्मृति ग्रंथ प्रस्तुत किया गया है । इस ग्रंथ के लिए स्व आचार्य सम्राट श्री आनंद महर्षि जी म. सा. के आशीवर्चन हमें पूर्व में ही प्राप्त हो गए थे। साथ ही वर्तमानाचार्य श्री देवेन्द्रमनि जी म.सा. श्रमण संघीय सलाहकार श्री रतन मुनि जी म. सा. उपाध्याय श्री विशालमुनि जी म. सा. उप प्रवर्तक मुनि श्री विनय कुमारजी म. सा. 'भीम' श्री महेन्द्र मुनि 'दिनकर' पू. अध्यात्म योगिनी, परम विदुषी महासती श्री उमरावकुवंर जी म. सा. 'अर्चना' सरलमना महासती श्री बसंत कुवंर जी म. सा. विदुषी महासती श्री कंचनकुवंर जी म. सा. महासती श्री चेतन प्रभाजी म. सा. आदि की ओर से आशीर्वाद, मार्गदर्शन, सहयोग एवं प्रेरणा प्राप्त हुई, उसके लिए सभी के प्रति हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ ।
डॉ. तेजसिंह गौड़ ने अल्प समय में कठिन परिश्रम करके ग्रंथ के अनुरूप सामग्री एकत्र की और सम्पादित रूप में हमारे सम्मुख प्रस्तुत की तथा फिर ग्रंथ को सुन्दर रूप से मुद्रित [Bकरवाया उसके लिए उन्हें धन्यवाद देकर उनके श्रम को कम करना नहीं चाहती। हाँ, इनता अवश्य चाहती हूँ कि उनका सहयोग आवश्यकतानुसार
अवश्य
मिलता रहे।
सुश्रावक श्रीमान् रीखबचन्द जी लोढ़ा जिस लगन और निष्ठा से संयोजक के कर्त्तव्य का निर्वाह किया है, उसका वर्णन करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है। दिन रात अथक परिश्रम करके आर्थिक सहकार प्राप्त करना श्री लोदाजी के ही सामर्थ्य की बात थी । वैसे यह कार्य उनका अपना था, फिर भी वे साधुवाद के पात्र हैं ।
जिन अर्थ सहयोगी बंधुओं और विद्वान लेखकों के सहयोग से यह महासती द्वय स्मृति ग्रंथ मूर्त रूप ले सका, वे सभी तथा अन्य ज्ञात/ अज्ञात सहयोगी भी साधुवाद के पात्र हैं।
यहाँ एक बात स्पष्ट करना भी आवश्यक समझती हूँ कि एक वर्ष से भी कम की समयावधि में यह महासती द्वय स्मृतिग्रंथ सम्पूर्ण रूप से तैयार हुआ है। यदि स्मृतिग्रंथों/अभिनंदन ग्रंथों की परम्परा में झांक कर देखें तो इतनी कम समयावधि में ही कोई ग्रंथ सर्वांग रूप से प्रकाशित हो पाया हो, यह हमारे लिए गौरव की
शायद बात है ।
प्रयास तो यही किया गया है कि ग्रंथ में कोई त्रुटि नहीं रह पाये किन्तु ऐसा हो पाना संभव नहीं है। इस ग्रंथ में रही हुई कमी की ओर ध्यान आकर्षित करवाने वाले विज्ञ पाठकों का स्वागत है। यदि यह ग्रंथ लक्ष्य भ्रमित पाठक का थोड़ा भी मार्गदर्शन कर सका तो मैं अपना प्रयास सार्थक समझंगी । अक्षय तृतीया, सं. २०४९
साध्वी चन्द्रप्रभा 'मुस्कानी'
अम्बतुर (मद्रास) दि. ५-५-९२
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