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भावभूमि
जब हम शरीर को जानते हैं तो शरीर अन्दर से बदलना प्रारम्भ हो जाता है, जब हम शरीर को औषधियों से बदलना चाहते हैं तो वह अन्दर से तो बदलता नहीं, ऊपर से बदलता है किंतु शरीर इस बल-प्रयोग का बदला लेता है। औषधि से एक रोग दूर होता है तो दूसरा रोग उभर आता है। जिसने एक बार औषधि ली वह भविष्य के लिए औषधि का गुलाम हो गया। ध्यान औषधि नहीं है, वह शरीर को जानने का उपक्रम है। जब हम शरीर के यथार्थ स्वरूप को जानते हैं, तो शरीर के प्रति हमारा दृष्टिकोण बदल जाता है। हम शरीर को साक्षिभाव से देखकर शरीर के वास्तविक स्वरूप को जानते ही नहीं हैं, शरीर की आन्तरिक प्रक्रिया को बदल भी देते हैं। शरीर भी संस्कारों का वाहक है
एक घटना को लें। हम समझते हैं कि शरीर का कोई अंग कटकर हमसे अलग हो गया तो अब वह अंग एक मांस का लोथड़ा है, उसमें ऐसा कुछ नहीं रहा जिसे हम अपना विचार या भावना कह सकें। किंतु प्रमाण इसके विरुद्ध है। एक अत्यंत अमीर व्यक्ति की दायें हाथ की अंगुलियां दुर्घटना में कट गयी। उसी समय एक दूसरा व्यक्ति दुर्घटनाग्रस्त होकर मर गया। शल्य चिकित्सकों ने उस व्यक्ति की जो अभी-अभी मरा था हाथ की अंगुलियां काटकर उस अमीर व्यक्ति के हाथ में प्रत्यारोपित कर दी। अमीर व्यक्ति के हाथ में उंगलियां जुड़ गयी और वह उन अंगुलियों से सभी सामान्य कार्य करने लगा। एक दिन उस व्यक्ति को पकड़कर पुलिस ने न्यायालय में पेश किया। आरोप यह था कि उसने कुछ लोगों की जेब से पैसे निकाल लिये थे। यह व्यक्ति साधारण अमीर नहीं था, अरबपति था। उसने दूसरों की जेबों से दस-पांच रुपये ही निकाले थे। पहेली बहुत रोचक थी कि एक अरबपति व्यक्ति , दूसरों की जेबों से दस-पांच रुपये निकालने का काम करता फिरे-यह बात समझ में आने लायक नहीं थी। खोज की गयी तो यह बात सामने आयी कि इस अरबपति के हाथों में जिस व्यक्ति की अंगुलियां प्रत्यारोपित की गयी थी वह व्यक्ति पेशेवर जेबकतरा था। उसने अपनी उन अंगुलियों से न जाने कितने लोगों की जेब से पैसा निकाला था। जिन अंगुलियों को शल्यचिकित्सकों ने अब उस अरबपति के हाथ में प्रत्यारोपित कर दिया था, उन अंगुलियों में संस्कार था दूसरे की जेब से पैसे निकालने का । वे अंगुलियां अरबपति के हाथ में एक जड़ मांस खण्ड की तरह नहीं आयी अपितु उस जेबकतरे के जेब से पैसे निकालने का संस्कार साथ लेकर आयी। अरबपति को मालूम भी नहीं कि उसकी अंगुलियां क्या कर रही हैं किंतु वे जेबों से पैसा निकालने का काम कर रही थीं।
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