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सामाजिक-आर्थिक तंत्र के चार मॉडल
स्वयं करूंगा, न दूसरों से कराऊंगा, मन से, वचन से, काया से । मैं इस अचौर्य अणुव्रत की सुरक्षा के लिए चोरी की वस्तु लेने, राजनिषिद्ध वस्तु का आयात-निर्यात करने, असली के बदले नकली माल बेचने, मिलावट करने, कूट तोल -माप करने और रिश्वत लेने जैसे वंचनापूर्ण व्यवहारों से बचता रहूंगा।
ब्रह्मचर्य अणुव्रत
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अपरिग्रह अणुव्रत
मैं स्थूल परिग्रह का प्रत्याख्यान करता हूं - इच्छा का परिमाण करता हूं । मेरे स्वामित्व में जो परिग्रह है और आगे होगा, उसकी सीमा निम्नांकित प्रकार से करता हूं, उससे अधिक परिग्रह का आजीवन परित्याग करता
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मैं
स्थूल मैथुन का प्रत्याख्यान करता हूं।
मैं आजीवन अपनी पत्नी / पति के अतिरिक्त शेष सब स्त्रियों-पुरुषों के साथ संभोग नहीं करूंगा / करूंगी।
मैं इस ब्रह्मचर्य अणुव्रत की सुरक्षा के लिए परस्त्री और वेश्यागमन, अप्राकृतिक मैथुन, तीव्र कामुकता और अनमेल विवाह जैसे आचरणों से बचता रहूंगा/रहूंगी।
१. क्षेत्र, वास्तु (घर) का परिमाण ।
२. सोना, चांदी, रत्न आदि का परिमाण ।
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३. धन, धान्य का परिमाण ।
४. पशु, पक्षी आदि का परिमाण ।
५. कुप्यप्रमाण - तांबा, पीतल धातु तथा अन्य गृहसामग्री, यान, वाहन आदि का परिमाण ।
मैं संतान की सगाई, विवाह के उपलक्ष्य में रुपये आदि लेने का ठहराव नहीं करूंगा।
मैं अपनी परिशुद्ध (नेट) आय का कम से कम एक प्रतिशत प्रतिवर्ष विसर्जन करूंगा। यदि मेरी परिशुद्ध (नेट) वार्षिक आय पचास हजार से अधिक होगी तो कम से कम अपनी आय का तीन प्रतिशत विसर्जन करूंगा । विसर्जित राशि पर अपना किसी प्रकार का स्वामित्व नहीं
रखूंगा ।
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