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14 (प्रव.चा.५१) अणुकंपा स्त्री [अनुकम्पा] दया, करुणा, कृपा। (पंचा.१३७) जो भूखे, प्यासे, दुखित एवं दुःखित मन वाले प्राणियों को दयापूर्वक अपनाता है, उसके अनुकम्पा होती है। तिसिदं बुभुक्खिदं वा दुहिदं दटूण जो हु दुहिदमणो। पडिवज्जदि तं किवया तस्सेसा होदि अणुकंपा।। -संसिद वि [संश्रित] अनुकंपा के आश्रित। (पंचा.१३५) अनुकंपासंसिदो य परिणामो (पंचा.१३५) अणुकंपाए (तृ.ए.चा.११) स्त्रीलिंग शब्दों के तृतीया एकवचन से लेकर सप्तमी एक वचन तक में अ,इ एवं ए प्रत्यय लगता है। कुन्दकुन्द के ग्रन्थों में प्रायः ए प्रत्यय की बहुलता है। अणुगमण न [अनुगमन] अनुसरण, अनुवर्तन, पीछे-पीछे चलना,
गुरुओं के अनुकूल चलना। (पंचा. १३६, प्रव.चा. ४७) अणुगमणं पि गुरूणं । (पंचा.१३६) अणुगहिद वि [अनुगृहीत] आभारी, दयायुक्त। (प्रव.चा.३)
पडिच्छमं चेदि अणुगहिदो। (प्रव.चा.३) अणुचर सक [अनु+चर] 1. सेवा करना, अनुसरण करना। अणुचरदि (व.प्र.ए.स.१७) अणुचरंति (व.प्र.ब.प्रव.जे.५९)अणुचरिदब्बो (वि.कृ.स.१८) 2. पुं [अनुचर] सेवक, नौकर, अनुगमन करने वाला। अणुत्तर वि [अनुत्तर सर्वश्रेष्ठ, सर्वोत्कृष्ट। (द.३६, शी.२८) णिव्वाणमणुत्तरं पत्ता। (द.३६) अणुदिणु न [अनुदिनु. अपभ्रंश प्रतिदिन हमेशा, नित्य। (भा.
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