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अणिहिट्ठ वि [अनिर्दिष्ट] आकार रहित, जिसका आकार कहने में नहीं आता, निराकार। (पंचा.१२७, स.४९, निय.४६, भा.६४) जीवमणिद्दिट्ठसंठाणं। (पंचा.१२७) -संठाण वि [संस्थान] आकार रहित संस्थान। (पंचा. १२७, स. ४९, प्रव.चा.८०) अणियद वि [अनियत अप्रतिबद्ध, पर-द्रव्य में रत, अनियमितता। (पंचा.१५५) -गुणपज्जय पुं [गुणपर्यय] पर द्रव्य की गुण एवं पर्याय में रत। अणियदगुणपज्जओध परसमओ। (पंचा.१५५) अणियत्ति वि [अनिवृत्ति] निवृत्त नहीं होने वाला। (स.३०७) अणिल पुं [अनिल] हवा, वायु, पवन,। (पंचा.१११,११२) पंचास्तिकाय में अणिल शब्द का प्रयोग वायुकाय से सम्बन्धित है। अणिंदा स्त्री [अनिन्दा] निन्दा रहित। (स.३०७) अणियत्तीय
अणिंदा। (स.३०७) अणिंदिअ/अणिंदिय वि [अनिन्द्रिय] इन्द्रिय रहित, अतीन्द्रिय। (पंचा.२७, निय.१७७, मो.६) पंचास्तिकाय की गाथा १५४ में अणिंदिय का अर्थ निर्मल भी स्पष्ट होता है। अत्थित्तमणिंदियं भणियं। (पंचा.१५४) अणु वि [अणु] थोड़ा, स्वल्प, छोटा, परमाणु। (निय.२०) अणुखंध वियप्पेण । (निय.२०) अणुकंप/अणुकंपय वि [अनुकम्प] दया, भक्तिभाव, भक्ति। प्रवचनसार चारित्राधिकार की गाथा ५१ में भक्तिभाव के रूप में अर्थ की स्पष्टता अधिक प्रतीत होती है। अणुकंपयोवयारं।
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