Book Title: Kulak Sangraha
Author(s): 
Publisher: Sushilsuri Jain Gyanmandir

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Page 6
________________ समर्पर..... शान्त सुधारस मृदुमनी, राजस्थान के दीप, मरुधर देशोद्धारक सत् कवि, तुम साहित्य के सीप । कविभूषण हो तीर्थप्रभावक, नयना है निष्काम, सुशील सूरीश्वर को करू, वन्दन आठो याम || 卐 परमाराध्यपाद, परमोपकारी, भवोदधितारक प० पू० आचार्य गुरु भगवन्त श्रीमद् विजय सुशील सुरीश्वरजी म. सा. के कर कमलों में सादर समर्पित । श्रीमच्चरणकमल चञ्चरीक लघु शिष्यजिनोत्तमविजय.

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