________________
WARNIMALLAHALALLAMAALAND
था, सूरिजी को अपने मकान पर ले जा कर उन का खूब आदर- सत्कार किया। । सूरिजी ने उसे मीठा धर्मोपदेश दिया जिस से उस ने शिकार वगैरह कुव्यसनों || का सर्वथा त्याग कर दिया। सूरिजी आबू-पहाड पर के प्रसिद्ध मंदिरों की यात्रा । कर सिरोही पहुंचे। यहां का राजा सुलतान-सिंह बडे समारोह के साथ सूरिजी
की पेशवाई में सामने आया और सारे नगर को खूब अच्छी तरह सजा कर । खूब धूम-धाम से आचार्य महाराज का प्रवेशोत्सव कराया। कुछ दिन ठहर कर सिरोही से आचार्य महाराज सादडी नगर को पहुंचे । महोपाध्याय कल्याणविजयजी जो दक्षिण की ओर विचरते थे, सूरिजी को फतहपुर की तरफ जाते सुन कर, यहां पर दर्शनार्थ हाजर हुए। यहां से गमन कर सूरिजी राणपुर के धरणविहार की यात्रा कर आउआ नामक स्थान में पहुंचे । इस गाँव का मालिक जो ताल्हा सेठ था, उस ने आडंबर पूर्वक सूरिजी का शहर - प्रवेश कराया। जितने आदमी सूरिजी की आगेवानी में गये थे उन सब को, ताल्हा सेठ ने एक एक पिरोजी सिक्का -जो उस समय वहां पर रूपये की जगह व्यवहार 1 में लाया जाता था • भेट दिया। कल्याणविजय उपाध्याय, जो सादडी से यहां
तक आचार्य महाराज को पहुंचाने आये थे, वापस लौटे । आउआ से चल कर । कुछ ही दिन में सूरिजी मेडतानगर को पहुंचे। यहां का सुलतान सादिम सूरिजी
की पेशवाई में आया। विमलहर्ष उपाध्याय जिनको सूरिजी ने, सिद्धपुर से, अपने पहले अकबर से मिलने के लिये आगे भेजे थे, वे किसी कारण वश यहां पर ठहरे हुए थे, आचार्य महाराज से मिले । नागोर और बीकानेर शहरों के संघ सूरिजी को वंदन करने के लिये आये । विमलहर्ष उपाध्याय को सूरिजी ने आगे जाने की आज्ञा दे कर पंडित सिंहविमलगणि के साथ, जल्दी से रवाना किये।
और आप धीरे धीरे वहां से फतहपुर की तरफ बढने लगे । सूरिमहाराज सांगानेर स्थान पर पहुंचे जितने में तो उपाध्यायजी अकबर को आचार्यजी के आगमन की सूचना दे कर वापस आये और सूरिजी की सेवामें दाखल हुए।
बादशाह को सूरिमहाराज के सांगानेर पहुंचने की खबर मिलते ही तुरन्त उसने थानसिंह, अमीपाल और मानू शाह आदि राजमान्य जैन साहकारों को आज्ञा दी कि- सूरिमहाराज की अगवानी बडे भारी ठाट-माट से की जाय ।। बादशाह का हुक्म होते ही बडे बडे अफ़सर और धनाढ्य जैन अनेक हाथी, घोडे, रथ और फौज ले कर सूरिजी के सामने सांगानेर पहुंचे। सूरिजी उन के
AAMITRA
WRITINMARATHIMATI
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org