Book Title: Kruparaskosha
Author(s): Shantichandra Gani, Jinvijay, Shilchandrasuri
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti

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Page 28
________________ सूरिजी को कह सुनाया और वे फरमान पत्र भी उन के चरणों में भेंट किये जिन में जजिया कर के उठा देने का तथा वर्ष भर में छः महिने जितने दिनों तक जीव Vवध के न किये जाने का हाल और हुक्म था । सूरिजी को यह जानकर जितनी खुशी हुई उस का उल्लेख करने की इस लेखिनी में ताकत नहीं । वे । उपाध्यायजी पर बडे प्रसन्न हुए और उन के इन कार्यों की बहुत बहुत प्रशंसा करने लगे । जो जो दिन जीव-वध के लिये निषिद्ध किये गये उन का जिक्र "हीरसौभाग्य-काव्य' (सर्ग १४) में इस प्रकार किया हुआ है - श्रीमत्पर्युषणादिना रविमिताः सर्वे वेर्वासराः ।। सोफीयानदिना अपीददिवसाः संक्रान्तिघस्राः पुनः । मासः स्वीयजनेर्दिनाश्च मिहिरस्यान्येऽपि भूमीन्दुना हिन्दुम्लेच्छमहीषु तेन विहिताः कारुण्यपुण्यापणाः॥ तेन नवरोजदिवसास्तनुजजनू रजबमासदिवसाश्च । विहिता अमारिसहिताः सलतास्तरवो घनेनैव ॥ अर्थात् - पर्युषणा के १२ दिन, सभी रविवार, सोफीयान के दिन, ईद के दिन, संक्रान्ति के दिन, बादशाह के जन्म का सारा महिना, मिहिर के दिन, नवरोज के दिन और कुछ रजब महिने के दिन । इन सब दिनों की गिनती की जाय तो, सब मिल कर छः महिने जितने होते हैं। महोपाध्याय श्रीधर्मसागरगणि ने भी अपनी "तपागच्छ- गुर्वावली' - जो संवत् १६४८ के आसपास बनाई गई है- में यह बात संक्षेप में परन्तु, स्पष्ट रूप से लिखी है “अथ पुरा श्रीसूरिराजै; श्रीसाहिहृदयालवालारोपिता कृपालतोपाध्याय । श्रीशान्तिचन्द्रगणिभिः स्वोपज्ञकृपारसकोशाख्यशास्त्रश्रवणजलेन सिक्ता सती वृद्धिमती बभूव । तदभिज्ञानं च श्रीमत्साहिजन्मसम्बन्धी मासः, श्रीपर्युषणापर्वसत्कानि द्वादशदिनानि, सर्वेऽपि रविवासराः, सर्वसंक्रान्तितिथयः, नवरोजसत्को मासः, सर्व ईदीवासराः, सर्वे मिहिरवासराः, सोफीआनवासराश्चेति पाण्मासिकामारिसत्कं फुरमानं, जीजीआभिधानकरमोचनसत्कानि फुरमानानि च श्रीमत्साहिपाश्र्धात्समानीय धरित्रीदेशे श्रीगुरूणां ।।। प्राभृतीकृतानीति । एतच्च सर्व जनप्रतीतमेव।" 88 568 HORAAMANA Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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