Book Title: Kavyanushasana Part 1
Author(s): Hemchandracharya, Rasiklal C Parikh
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 518
________________ 55 भगवत्तापसविप्रैर् (अ.) ४४२ 84 यत्रककर्तृकानेका (वि.) २५९ [ना. शा. अ. २०.C. S. S.] | 168 यथासंख्यं क्रमेणैव (वि.) ४०२ 34 भावनाभाव्य एषोऽपि (वि) ९७ [का. प्र. उ. १०. का. १०८] 170 भावः कवेरभिप्रायः (वि.) ४०२. 48 यदनार्षमथाहार्य (अ.) ४३४. [का. द. परि. २, "लो. ३६४] | [ना. शा. अ. २०. C. S. S.] 105 मिन्नाधिकरणा हि (वि.) २७९ | 135 यदादित्यगतं तेजो (वि.) ३१७ 25 मञ्जीरादिषु रणितप्रायान् (अ.) २३४ | [भ. गी. अ. १५, श्लो. १३] [रु. वा. लं. ६. २५. ] | 9 यद्वामाभिनिवेशित्व (अ.) १०८ 197 मणिकुल्यायां (वि.) ४६४ [ना. शा. अ. २२, श्लो. १९३ नि. सा] 32 मणिप्रदीपप्रभयोर् (वि.) ९३ 51 यद्व्यायोगे कार्य (अ.) ४३९ ६६ मण्डलेन तु यन्नृत्तं (अ.) ४४६ । ना. शा. अ. २० C. S. S.] 66 मरुबकदमनक (वि.) १९७. 48 यन्नाटके मयोक्तं (अ.) ४३५ 101 मसूणत्वं श्लेषः (वि.)२७८ [ना. शा. अ. २० C. S. S.] [का. लं. सू अधि. ३, अ. १, सू. १०] | 33 यमकानुलोम (अ.) ३०७ 173 महतां चोपलक्षणम् (वि) ४०३ | 37 यः कोऽपि भास्करं (वि.) ९८ [का. प्र. उ. १०. का. ११५ ] | 136 यस्तु पर्यनुयोगस्य निर्भेदः (वि.)३२३ 32 माधुर्यव्यञ्जकैर्वर्णैर् (अ.) २९२ । [सरस्वतीकण्ठाभरण परि. २, श्लो. १४८] 52 मायेन्द्रजालबहुलो (अ.) ४३९ । 33 यस्तु सरिदद्रिसागर (अ.) ३०७ [ना. शा. अ. २०. C. S. S.] | 66 यस्मिन् कुलाङ्गना पत्युः (अ.) ४४९ 9 मूलैक्यं यत्र (वि.) १६ 123 यस्मिन्न तथास्थितोऽपि (वि.) २८४ [का. मी. अ. ९२] | 196 यस्यामुपहासः (वि) ४६४ 45 मौग्ध्यमदभाविकत्व (अ.) ४३९ । १७ 27 रतिः शृङ्गरता (वि.) ८९ 70 यतस्ते चादय (वि.) २११ [का. द. परि. २ ] 82 यतःसमासो वृत्तं (वि.) २५८ । 38 रम्याणि वीक्ष्य (वि.) ९९ 27 यत्तदोनित्यमभिसंवन्धः (अ.) २४६ [अ. शा. अ, ५. 'लो. २] 68 यत्प्राचि मासे कुसुम (वि.) १९८ 31 रसपूर्वकत्वं भावानाम् (वि) ९१ 194 यत्र द्वयोविवादः (वि.) ४६४ 53 रसवार्शित (वि) १५९ ।। 67 यत्र बीजसमुत्पत्तिर् (अ.)४५० [का. लं. सं. वर्ग ४, का. ३; भामह [ना. शा. अ. २१. C. S. S.] का. लं. परि. ३, *लो. ६१] 151 यत्र सामान्यस्य (वि.) ३५३ 116 रसवन्मधुरम् (वि.) २८२ 200 यत्राश्रित्य कथान्तरम् (वि.) ४६५ / का. द. परि. १ *लो. ५१] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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