Book Title: Kavyanushasana Part 1
Author(s): Hemchandracharya, Rasiklal C Parikh
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 570
________________ . रत्नपरीक्षानैपुण्य वि.) १२. रसादि (अर्थशक्तिमूलम्यग्य) (अ.) ८२; रत्यनुकार (वि.) ९४. (वि.) १५८. रत्युत्साह (वि.) १६८. रसादिभेद (अ.) ५७. रमठ (वि.) १८३. रसापकर्षहेतु (अ.) १५९. रम्यक (वि.) १८१. रसाभाव (अ.) ३५. रख (अ.) २३२. रसाभास (अ.) १४७-४९ (लक्षण), रस (अ.) ३४, ३५, ८८, ८९, १०६, १४९, १५०; (वि.) १४७. १०७, ११६, ११८, ११९, १२०, रसाभिव्यक्त्यपेक्षा (वि.) २५८. १२१, १५०, १५९, २७४, २८५, रसायन (अ.) १२५. ४०४, ४१०, ४३९; (वि.) ८९, रसास्वाद (वि.) १०५. ९०, ९१, ९२, ९३, ९५, ९६, । रसोपकारप्रकार (अ.) ३५. ९७, ९८, ९९, १०२, १०३, राग-काव्य (वि.) ४४७. २७४, २८७, ४३९, ४५७. राघव (अ.) १७१. रसचर्वणा (वि.) १००. राजर्षिवंश्य (वि.) ४३३. रसतात्पर्य (वि.) २९४. रात्रिवर्णन (वि.) ४५८. रसदोष (अ.) १५९, १६१, १६९, | राम (अ.) ११८, १२५, ४१०, ४१३; (अष्टन् ). (वि.) ९३, ९५, ९६, १४१, रसध्वनि (अ.) ४७; (वि.) ४०४. १७८,२५०, ३४६, ४११, ४५९. रसना (वि.) ९७, ९९, १०३. रामधी (वि.) १०३. . रसनिष्पत्ति (वि.) ८९. | रामनटादिव्यवहार (वि.) ४४८. रसनोपमा (अ.) ३४७. राम-रावण (वि.) ४५९. रस-परिपोष (अ.) १६२. रामाक्रीड (अ.) ४४५, ४४६ (लक्षण); रस-पर्यवसान (अ.) १५८. (वि.) ४४६. रसप्रतीति (वि.) २७७. रामादि-अनुकार्य (वि.) ८९. रसप्राधान्य (अ.) ४; (वि.) १५१. | रामादिवत् (अ.) ४. रसभङ्ग (अ.) ३०७; (वि.) २१६. रावण (अ.) ४२, ४११; (वि.) १९, रस-भाव (अ.) १४७. रसभावनिरन्तरत्व (अ.) ४५७. रावणगङ्गा (वि.) १८३. रसभेद (अ) १०६ (लक्षण). रावणादि (अ.) १२६. रसलक्षण (अ.) ८८. रावणादिवत् (अ.) ४. रसव्यक्ति (अ.) ८७. राशि (वि.) १८७. रससमवप्रसंग (अ.) १०३. . . । रासक (अ.) ४४५, ४४६ (लक्षण). ७० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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