Book Title: Kavyanushasana Part 1
Author(s): Hemchandracharya, Rasiklal C Parikh
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 575
________________ विष्णु (वि.) ३०३, ३२५. विसन्धित्व (अ.) २०१. विसर्ग (वि.) ३३५, ३३६. विसर्गचिच्छेदार्पणायुक्त (वि.) ३३६० विस्तर (वि.) ९६. विस्तार ( अ ) १२६, २९०. विस्मय (अ.) १२०, १२६ (लक्षण), १५३; (वि.) ३३५. विस्मित (वि.) ३३५. विहसित (वि.) ११५. ५५८ विहृत (अ.) ४२४, ४२७ ( लक्षण). वीणा (वि.) ३३४.. वीणाणित (वि.) ३६३. वीतराग (वि.) १२४, ३६३. वीथी (अ.) ४३२, ४४३ (लक्षण); (वि.) ४४५. वीथ्यंग (वि.) ४३९. वीर (अ.) १०३, १०६, ११७ (लक्षण), १२४, १६४, २९०; (वि.) ९०, १०१, १२४, ३३५, ३३६, ४६०. वीर - प्रधान (अ.) १७६. वीर - भयानक (अ.) १६१. वीररस (वि) ३६४. वीररसनिवेश (अ.) १६३. वीररौद्रादि (वि.) ४३९. वीरशृङ्गारादि (अ.) १२६. वीराद्भुतरस ( अ ) २१६. वृत्तवर्त्मन् (वि.) २७५. वृत्ति (अ.) २९२, ३४१, ३४२, ३४३, ४३९; (वि.) २९०, ४०५, ४४०. वृत्तिभेद (अ.) ४३५ (वि.) ४३५. वृत्तचित्य (वि.) २९४. Jain Education International वेणी (वि.) १८३. वेदना (वि.) २२८. वेदादि (वि.) ३. वेपथु (अ.) १४६. वेल्लर (वि.) १८३. वेशख्युपचार ( अ ) ४३६. वेश्या (वि.) ३२६. वेष (अ.) १७९ (वि.) १९९. वैचित्र्य (अ.) ४०१, ४५९; (वि.) ४०२. वैचित्र्यमात्र (वि.) २७६. वैडूर्य (पि. ) १८३. - वैतालीय ( व . ) ४६०. वैदर्भ (वि.) १८२. वैदर्भमार्गनिर्वाह (वि.) २७९. वैदर्भी (अ.) २९२. वैधर्म्य (अ.) ३५५, १८५. वैमल्य (वि.) २७७. वैयाकरण (अ.) २४०. वैराग्य (अ.) १२५, वैवर्ण्य (अ.) ११६, १४४, १४६; (बि.) १४६. वैशार (अ.) ११७. व्यक्तिवादिन् (वि.) ५२. व्यक्तिविशेष ( अ ) ६५. व्यय (अ.) ४६ (लक्षण), ७२, १५०, १५१, १९४, १५६, ४०४; (वि.) ५०, ५१, ३९८. व्यङ्गय-भेद (अ.) ६३ (लक्षण). व्यङ्गयरहित ( काव्य ) (अ.) १५७. व्यञ्जकत्वरूपा (शक्ति) (अ.) ५८० व्यञ्जक- शब्द (अ.) ५७. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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