Book Title: Kavyanushasana Part 1
Author(s): Hemchandracharya, Rasiklal C Parikh
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

Previous | Next

Page 573
________________ वाच्यार्थ (अ.) १५०. विचित्रमण्डप (वि.) १००. वातावेग (अ) १४०, १४२. विचित्रेक्षण (अ.) १०९. वाति (वि.) २३४. विच्छित्ति (अ.) ४२४, ४२५ (लक्षण). वात्सल्य (वि.) १०६. विच्छेद (वि.) ३३५. वाद्य (वि.) ४४८. विच्छेददीपनप्रशमनसंयुक्त (वि.) ३३६. वानप्रस्थ (वि.) ४४२. विच्छेदप्रशमनसंयुक्त (वि.) ३३६. वानवासक (वि.) १८२. विच्छेदप्रशमनापणदीपनानुबन्धबहुल (वि.) वामत्व (अ.) १०८.. वायु (वि.) १९०. विज्ञान (वि) २२८. विट (अ) ४०६, ४२६. वायुस्कन्ध (वि.) १७९. वायव्या (दिश्) (वि.) १८४. वितर्क (अ.) १२६, १२७, १२८, १४२ वाराणसी (वि.) १८२. (लक्षण); (वि.) १५३, ३३५. वारुणी (वि.) १८४. वितस्ता (वि.) १८३. विदग्ध (अ.) ४६२. वार्तघ्नी (वि.) १८३. विदग्धगणिका (वि.) १००. वार्ता (वि.) २८६. वार्ता प्रश्न (अ.) १११. विदिश् (वि.) १८४. वालि (अ.) ३३७; (वि.) ४११. विदूषक (अ.) ४०६, ४२१; १००, ४४४. वासक (अ.) ४२०; (वि.) ४२०. वासकसज्जा (अ.) ४१८, ४२० (लक्षण). | विदूषकोक्ति (अ) २२७. वासना (अ.) २२८. विदेह (वि.) १८२. वासनात्मता (वि.) ८९. विद्या (अ.) २६९. वासनारूप (अ.) ८८. | विद्रव (अ.) ४३८. वासनासंवाद (वि.) ९९. विधि (अ.) १६६, २७२, २७३. वासभवन (वि.) ४५९. विधिनिषेधव्युत्पादकत्व (अ.) ४५७. वासवदत्ता (अ.) १७२; (वि.) ३८, विधिभेद (अ.) २२५, २२६. ४५३, ४५४. .. विनय (अ.) ११७, (वि.) ११७. वाहीक (वि.) १८३. विनशन (वि.) १८३. विंशति (भाषा लेष) (अ.) ३३०. विनिपातप्रतीकार (वि.) २२८. विकास (अ.) २९१; (वि.) ९६. विनेय (वि.) १७८. विघ्न (वि.) ९९, १००. विनोक्ति (अ.) ४०२; (वि.) ४०२. विघ्नापसारक (वि.) ९९. विन्ध्य (वि.) १८१, १८२, १८३, विचार (वि.) ३३५. २५०. . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631