Book Title: Kavyanushasana Part 1
Author(s): Hemchandracharya, Rasiklal C Parikh
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
View full book text
________________
२८७
काकरटित (वि.) ३६३.
कार्य (रस) (अ.) १०३; (वि.) ९१ काकु (अ) ५९, ६०, ६५, ३३६, (अनुभावालक). ३३७; (वि.) ३३३, ३३४, ३३५, | कार्यसिद्धि (वि.) २२८.
कार्य हेतुक-प्रवास (अ.) ११३. काकुपठित (वि.) ३३७.
कार्य (अ) ११०. काञ्चि (वि.) १८२.
| काल (अ.) १७९, ३३९; (वि.) १७९, कादम्बरी (अ.) ११२.
१८9. कान्त (वि.) २८५.
कालभेद (अ.) २२५. कान्तातुल्यता (अ.) ३.
कालविशेष (अ) ६५. कान्ति (अ.) ४२८ (स्त्री-अयत्नज अलंकार- कावेर (वि.) १८२. लक्षण), ४२९, ४३१; (वि.) २८६, | कावेरी (वि.) १८३.
काव्य (अ.) ३, ७ (लक्षण), ३३, कान्यकुब्ज (वि.) १९९.
१५८, १५९, २२५, २७४, २९२, कापिल (वि.) १०१.
२९५, ३०७, ३२३, ४३२, काम (अ.) १०६; (वि.) १०१, १०८. ४३६, ४४९; (वि.) ५, ९६, कामचार (वि) २९४.
. २९३, ३५६, ३९७. कानदेव (अ.) ८१.
काव्यकथा (अ.) ३५६. कामधेनु (अ.) १४,
काव्यगड्डु (अ.) ३०७. कामरूप (वि) १०२.
काव्यगेयप्रकार (अ.) ४.५, ४४९ कामशास्त्र (अ.) २२४.
(लक्षण). कामशास्त्रविरुद्धत्व (अ.) २७०. काव्य- चारुत्व (वि.) १५१. कामशास्त्रनैपुण्य (वि.) ११.
काव्य-नाटयशास्त्र (अ.) ८८. कामशास्त्रस्थिति (अ.) २२१.
काव्यबल (वि.) ९२.. कामादि-पुरुषार्थ (वि.) १२१.
काव्यभेद (अ.) १५० (लक्षण). कायिकव्यापार (अ.) १०९..
काव्यमार्ग (अ.) ६५. कारक (अ.) १०३.
काव्यरूप (अ.) ३२३. कारकगूढ (अ.) ३२२.
वाव्यविद् (अ.) १३. कारकदोपक (अ.) ३५८.
काव्यसमय (अ.) २०१. कारण (वि.) ९..
काव्यस्वरूप (अ.) ३३. कारणमाला (अ.) ३९६; (वि.) ३३९. काव्याङ्ग (वि.) १३. कारुणिकपदवी (वि.) १६७.
काम्यामृत-कामधेनु (अ.) १४. कार्तवीर्य (वि.) ४५९.
| काव्यार्थ (अ) १६४; (वि.) ९८.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631