Book Title: Kavyanushasana Part 1
Author(s): Hemchandracharya, Rasiklal C Parikh
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 566
________________ बहुनृत्यगीतवाद्या (नाटिका) (अ.) ४३६. बहूब (वि.) १८३. बाण (अ.) ३१५; (वि.) ३१६. बाधा (वि.) ३३५. बाष्प (अ.) १४५; (वि.) १४५. बाह्यार्थसमर्पण (वि.) ३३४. बिन्दुच्युत ( अ ) ३२२. बिन्दुसरस् (वि.) १८१. बिब्बोक (अ.) ४२४, ४२५ (लक्षण). बीजसमुत्पत्ति (वि.) ४५१. बीभत्स ( अ ) १०६ (लक्षण), ११९, १२३, १६३, २९०; (वि.) १६४, ३३५. ભાર बीभत्स भयानक (वि.) ३३६. बीभत्स - व्यङ्गय (अ.) २४१. बुद्धि (अ.) ३४९. बृहत्कथा ( अ ) ४६५ (लक्षण); (वि.) ४६५. बृहद्गृह (वि.) १८२. बोक्काण (वि.) १८३. बोधरूपा (रसना) (वि.) १८३० बोधिसत्व (वि.) १२३, १६७. बौद्ध (तर्क) (वि.) ९. ब्रह्मोत्तर (वि.) १८२. ब्राह्मणवाह्य (वि.) १८३. भगवत् (अ.) १७८. भगवत्तापसविप्र (वि) ४४९. भगवद्गिर् (अ.) २. भग्नतालपरिक्रमण (वि.) ४४७. Jain Education International भग्नप्रक्रमता ( अ ) ४०२. भग्नप्रक्रमत्व (अ.) २०१, २१६, २२२, २६४. भङ्ग (अ.) ३३२. भारक (अ.) १७८. भणति (वि.) २३४. भणिति (वि.) ४ ५. भय (अ.) १०६, ११८ (लक्षण), १२६; . (वि) ३६५. भयानक ( अ ) १०३, ११८; (वि.) ३३५. भयानक (रस) (वि.) ९८. भागयमक (अ.) ३००. भागावृत्ति (अ.) ३०२. भात (अ.) ६६. भाण (अ.) (पाठ्यभेद ) ४४२, ४४३ ( लक्षण ), ( गेयभेद ) ४४६; (वि.) ४४५, ४४६, ४४७. १०६ (लक्षण), भाणिका (अ.) ४४५, ४४६ (लक्षण). भारत (युद्ध) (वि.) ४४१. भारतवर्ष (वि.) १०१. भार्गव (अ.) १७१, ३६७. ब्राह्मी (वि.) १८४. ९८, ४०५, ४५७. भक्ति ( अ ) १०६, १९९, २७४ (वि.) भाव ( सत्त्वज स्त्री अलंकार) (अ.) ४२२, १०६, २७१. भाव (अ.) १०७, १२४, १२८, १४४, १४५, १४७, ३४८; (वि.) ८९, ४२३ (लक्षण). भावक (वि.) ९८. भावकत्व व्यापार (वि.) ९६. भावावस्था (वि.) ४. भावध्वनि (वि.) ४०४, For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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