Book Title: Kavyanushasana Part 1
Author(s): Hemchandracharya, Rasiklal C Parikh
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 557
________________ जीमूत (अ.) १६३. | तामलिप्तिक (वि.) १८२. जीमूतवाहन (अ.) ११८. ताम्रपर्ण (वि.) १८१. जुगुप्सा (अ.) १०७, ११९, १२२, ताम्रपर्णी (वि.) १६, १८३. , १२३ (लक्षण), १२६; (वि.) १०६. तारस्वर (वि.) ३३५. जुगुप्साव्यञ्जक (अ.) २२९, २३०. तार्किक (वि.) ९९. ज़म्भा (अ.) १३२, १३५. ताल (वि.) २२७. जैनी (अ.) १. तीक्ष्ण (व.) ३३५. ज्ञापक (अ.) १०३. तुङ्गभदा (वि) १८३. ज्ञाप्य (रस) (अ.) १०३. तुरंग (वि.) १८३. ज्येष्ठा (नायिका) (अ.) ४१५ (लक्षण). तुरगशास्त्रनैपुण्य (वि.) १२. ज्योतिःशासनैपुण्य (वि.) ११. . . तुरंगपद (अ.) ३१३; (वि.) ३११. ज्वर (वि.) ३३५. तुरुष्क (वि.) १८३. डिम (अ.) ४३२, ४३९, ४४०, तुल्यप्राधान्य (व्यङ्गय) (वि.) १५६. (लक्षण); (वि.) ४४०. तुल्यदेहितुल्यता (अ.) १६. डोम्बिका (अ) ४४५ (लक्षण); (वि.) तुवार (वि.) १८३. ४४६, ४४७, ४४८. तृष्णाक्षयरूप (शम) (अ.) १२१; (वि.) डोम्बिलिका (वि.) ४४७. १२१. ढक्कराग (वि.) ४४५. तेजस् (अ.) ४०६, ४१० (लक्षण). तङ्गण (वि.) १८३. तैरश्ची (भाषा) (अ.) २. तटस्थता (वि.) १०३. तोटक (अ.) ४४५; (वि.) ४५०. तत्त्वज्ञान (वि.) १२१. तोसल (वि.) १८२. तपः (वि.)- १७९, १९१, ३३५. त्यक्तपुनरात्तल (अ.) २६१, २७१. तपस्य (वि.) १९१. : त्याग (अ.) ११७. तमस (वि.) १५४. त्रपा (अ) ११४. तर्क (वि.) ९. त्रयस्त्रिंशत् (व्यभिचारिन् ) (अ.) १२६, तर्जित (वि.) ३३५. १४७. ताटरभ्य (वि.) ९६. त्रयोदश (वाक्यदोष) (वि) २०१. ताडन (अ.) ११६. त्रवण (वि.) १८३. तात्पर्य (वि.) ४९. त्रस्त (वि.) ३३५. तादवस्थ्य (अ.) ३७९; (वि.) ३७९. त्रास (अ.) ११६, ११८, १२६, १२७, तानव (अ.) ११६. १३८ (लक्षण), ४३१; (वि.) ३३५. तापी (वि.) १३. त्रास-उदय (वि.) १५३. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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