Book Title: Kavyanushasana Part 1
Author(s): Hemchandracharya, Rasiklal C Parikh
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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कठोरा रचना (अ.) २९१. कण्ठ (अ.) ३०९ (वि.) ३३५.
कथा (अ.) २९३, ४०६, ४४९, ४५६, ४६३ (लक्षण).
कथाप्रभेदा (अ.) ४६५. कथारसविच्छेद (वि.) ४५५..
कथा शरीर (वि.) ४६१. कनिष्ठा (नायिका) (अ.) ४१५ (लक्षण).
कन्या (अ.) ४१७, ४२१. कपिमाया (वि.) १८२.
कम्प (अ.) १०९, ११६, १४४. कम्पित (वि.) ३३५, ३३६.
कम्बोज (वि.) १८३. कर (वि) ४४७. करकण्ठ (वि.) १८३.
करकम्प (अ.) ११८. करण (वि.) २५२, ४४७.
करतोया (वि.) १८२.
५३४
करभ (वि.) १८३.
करिहस्त ( अ ) २३१. करीर (वि.) १८३. करुण (अ.) १०३, १०६, १०८, १११ (लक्षण), ११६, १५३, १६६, १६८; (वि.) २५८, ३३५, ३३६,
४६०. करुणरसवासित (वि.) २७७. करुणविप्रलम्भ (अ.) १११; (वि.) २९३.
कर्णात (वि.) २३४. कर्तृभाव (वि.) २५१. कर्मन् (विभक्ति) (वि.) २५१. कर्मनिर्जरा (वि.) २.
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कलह (वि.) ३३५. कलहान्तरिता (अ.) ४१८, ४१९ (लक्षण). कला ( गीतनृत्तचित्रकर्मादिका) (अ.) २६९,
४३०.
कलान्तर (अ.) २७०.
कलापक (अ.) ४६९, ४६६ (लक्षण). कलाप्रागल्भ्य (अ.) ४१८.
कलिंग (वि.) १८२.
कलिन्द्र (वि.) १८३. कल्पितोपमा (अ.) ३४८.
कवि (अ.) २७, १७१, २६६, २६८, ४३१, ४३२, ४३५; (वि.) ४, १८२, २१८, २२१, ३४०. कविनटव्यापार (वि.) १२१. कविनिबद्धवक्तृप्रौढोक्ति (अ.) ७४. कविप्रशंसा (वि) ४५६.
कवि प्रसिद्धि ( अ ) ७३; (वि) ७२, १८१, १९८: कविमार्ग (वि.) ९८६.
कविरुचि (अ.) २६१.
कविविवक्षा (वि.) ३४१.
कविविषयता (वि.) १५८. कविव्यवहार (वि.) १८३. कविशतिस्थापन (अ.) ३०७. कविसमय (अ.) २१२; (वि.) १८८. कवि - सहृदय (अ.) १३, ८९. कषायफलचर्वण (वि.) ९१. कष्टकाव्य (अ.) ३०७. कष्टत्व (अ.) २०२, २६१. कसेरुमत् (वि.) १८१. कस्तूरिका (वि.) १८२. काकतालीय (वि.) २०४.
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